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के बिना यह ग्रंथ मूर्त रूप नहीं ले सकता था। भाई अमर चंद्र जी, सतना, नीरज जैन (फोटो) और सिंघई धन्य कुमार जी कटनी के सहयोग से पंडित जी से संबंधित सामग्री मिल सकी। संपादक मंडल उनका अतीव ऋणी है । संपादन के कार्य में हमें काफी परेशानी आई है और अनेक लेखकों की संपादकों की कतर-व्योंत से अरुचिकरता का हम अनुमान कर सकते हैं। फिर भी, हमारी पेज सीमा, अर्थ सीमा व समय सीमा को देखते हुए बे हमारी विवशता को क्षमा करेंगे, ऐसा विश्वास है। काशी के अवतरण-सहायकों में डा. कमलेश, डा. प्रेमी एवं डा० गोकुलचंद भी धन्यवादाह हैं । मुद्रण कार्य में स्नेह पूर्ण सहयोग और मार्ग दर्शन के लिये तारा प्रेस के व्यवस्थापक श्री रमाशंकर पंड्या हमारे विशेष धन्यवाद पात्र हैं जिन्होंने मुद्रण में त्रुटियां कम करने का भारी प्रयास किया। यदि वे रह गई हैं, तो हम ही क्षमा प्रार्थी हैं।
अंत में, संपादक मंडल साधुवाद समिति के पदाधिकारियों के प्रति अपना आभार व्यक्त करता है जिनके स्नेहपूर्ण विश्वास ने हमें इस दुरूह कार्य को पूर्ण करने का बल दिया। कुंडलपुर के बड़े बाबा का प्रसाद तो सदैव हमारे साथ रहा है ।
-संपादक मंडल
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