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वि. सं. १९४० का स्वागत गीत
न्यायांभोनिधि आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी महाराज वि. सं. १९४० में राजस्थान के अजमेर नगर में पधारे थे। अजमेर के तत्कालीन जैनों ने उनका भव्य और ऐतिहासिक स्वागत किया था। उनके स्वागत में अजमेर के श्री सुवालाल भंडारी ने एक स्वागत गीत (लावणी) की रचना की थी। इसे अजमेर के परम गुरुभक्त श्रीसंपतराज बांठिया ने प्रस्तुत ग्रन्थ के लिए भेजा है।
मुनि आनंद विजय महाराज बड़े उपकारी, भवि वंदो सहित समाज सकल नर नारी ॥ मुनि तज्यो जो कुगुरु संग, आतम हितकारी, भये जिन आज्ञानुसार पंच महाव्रत धारी। मुनि स्वगुण पायो रत्न कुमति कर न्यारी, प्रभु पाले योग अखंड बाल ब्रह्मचारी ॥१॥ मुनि षटकाय प्रतिपाल उग्र विहारी, मुनि जीति इन्द्रीय पांच सुमति उरधारी ॥२॥ मुनि राग द्वेष दिए छोड़ क्षमा सी कटारी, प्रभु लिए परिषह जीत आतमा तारी ॥३॥ मुनि प्रतिबोद्यो पंजाब आर्य कर डारी ।
वि. सं. १९४० का स्वागत गीत
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