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लिए अपने गुरू के नाम से विद्यालय बनवाने प्रारंभ किए। वे आजीवन इस कार्य में लगे रहे। उनकी प्रेरणा से स्थापित होने वाली अन्तिम शिक्षा संस्था है 'श्री आत्मानंद जैन गुरूकुल-झगडिया' । जिसकी स्थापना बम्बई जाते हुए उन्होंने की थी। - केवल 'आत्मानंद' के नाम से ही उन्होंने ४१ संस्थाएं और भवन स्थापित किए थे । अन्य नामों से स्थापित संस्थाएं जैसे 'महावीर जैन विद्यालय' आदि अलग हैं। उनमें कुछ संस्थाएं भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय पाकिस्तान में चली गई।
गुरू वल्लभ के स्वर्गवास के बाद भी गुरू आतम के नाम से संस्थाएं स्थापित हो रही हैं। वर्तमान में उनकी स्वर्गारोहण शताब्दी के उपलक्ष्य में उनकी पाट परंपरा पर बिराजित वर्तमान गच्छाधिपति, परमार क्षत्रियोद्धारक, चारित्र चूड़ामणि, जैन दिवाकर आचार्य श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी महाराज की प्रेरणा से अनेक संस्थाएं स्थापित हुई हैं।
गुरू वल्लभ की प्रेरणा से जो संस्थाएं स्थापित हुई थी उसकी सूची हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। उनमें से कुछ संस्थाओं का संक्षिप्त परिचय और चित्र हमें उपलब्ध हुए हैं । हम उन्हें भी यहां सचित्र परिचय के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
श्री आत्मानंद जैन कॉलेज, अम्बाला ई. सन् १९३८ में पंजाब केसरी, युगवीर आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वरजी महाराज की निश्रा में सेठ श्री कस्तूरभाई लालभाई के कर कमलों से अम्बाला में श्री आत्मानंद जैन कॉलेज' का उद्घाटन हुआ।
उस समय हरियाणा में किसी कॉलेज का अस्तित्व नहीं था। इस प्रान्त में सर्व प्रथम स्थापित होने वाला यही एक मात्र कॉलेज था । यह 'जैन कॉलेज' के नाम से सम्पूर्ण हरियाणा में प्रसिद्ध है। तब से लेकर यह कॉलेज आज तक निरंतर शिक्षा का कार्य करता आ रहा है । इसके प्रमुख उद्देश्य हैं
(१) धार्मिक और व्यावहारिक शिक्षा का प्रबन्ध करना । (२) अहिंसा के सिद्धान्त का प्रचार करना । (३) मानव-जाति में सेवा-भावना को जागृत करना। (४) जैन साहित्य के अध्ययन को प्रोत्साहित करना । (५) विद्यार्थियों में अहिंसा, सत्य, आत्मत्याग, सहनशीलता, परोपकार तथा समन्वय की
श्रीमद् विजयानंद सूरि (आत्मारामजी) के नाम से चलने वाली शिक्षण संस्थाएं एवं सभाएं
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