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मिलता है। इन दोनों रुपों के स्वतन्त्र प्रयोग के अतिरिक्त कवि ने तत्सम एवं तद्भव शब्दों को मिलाकर 'जिनचन्द' की 'ज्ञानझड़ी' जैसे कतिपय तत्सम तद्भव मिश्रित शब्दों की रचना भी की
है।
लय बनाए रखने के लिए कवि ने अनेक शब्दों का स्वेच्छापूर्वक प्रयोग करके, उनकी मात्राएँ कमाधिक करने में भी स्वतन्त्रता ली है। आधीना, दासा, प्रस्थाना, विहारा, निवासा आदि शब्दों में, तुक मिलान के लिए, कवि ने 'आ' की मात्रा जोड़ ली है। इसी प्रकार होश्यारपुरे' और 'विहारे' में 'ए' की मात्रा और 'विस्रामी' जैसे शब्दों में 'ई' की मात्रा जोड़ी गई है । लय के मोह में पड़कर कवि ने अनेक शब्दों को मात्रा-संयुक्त ही नहीं किया अपितु आवश्यकतानुसार शब्दों को मात्रा-विमुक्त भी किया है । यथा धर्मशाला को धर्मशशाल तथा हीरा को हीर कर दिया है । यही नहीं, कवि ने अनेक शब्दों का रूप परिवर्तन भी किया है । यथा मन्दिर का मन्द्र, करोड़ों का क्रोड़ो, भक्ति का भगत, धन्य का धन जैसे प्रयोग किए गए हैं।
प्रस्तुत ग्रन्थ की भाषा पर अन्य भाषाओं का प्रभाव भी दृष्टिगोचर होता है। स्वयं पंजाबी भाषी होने के कारण चन्दूलाल अपनी भाषा का पंजाबी से प्रभावित होना नहीं रोक पाए । अनेक पंजाबी शब्दों के प्रयोग के अतिरिक्त चन्दूलाल ने कई स्थानों पर ‘में' का प्रयोग करने के स्थान पर, पंजाबी बोलचाल के अनुरूप, शब्द को ही अनुस्वारयुक्त ईकारान्त करके काम चला लिया है- जैसे 'चरणों में के लिए 'चरणीं' का प्रयोग । इसी प्रकार कवि ने कई बार 'ने' का प्रयोग करने के स्थान पर शब्द को अनुस्वारयुक्त आकारान्त कर लिया है- जैसे 'सेवकों' ने के लिए सेवकाँ' का प्रयोग । कई स्थानों पर बहुवचन बनाने में भी पंजाबी पद्धति का आश्रय लिया गया है, जैसे 'गुरु' का बहुवचन 'गुरुओं ने बनाकर “गुराँ” बना लिया गया है ।
पंजाबी के अतिरिक्त दूसरी जिस भाषा का प्रभाव इन रचनाओं पर दिखाई देता है, वह उर्दू है । हुक्म, लरजना, दाना, दरम्यान, आला, नज़र, मुल्क, अर्ज, सलाह, जर, सानी, मुआफ़, शायर, फ़र्माया, मुखार, हदीस जैसे अनेकानेक उर्दू-फ़ारसी शब्दों का प्रयोग इन रचनाओं में परिलक्षित होता है। इसके साथ ही 'घने', 'अगाड़ी' जैसे शब्दों के प्रयोग में बाँगरू भाषा का तथा ‘कियो', 'भये' जैसे शब्दों में ब्रज भाषा का प्रभाव भी देखने को मिलता है। ब्रज से प्रभावित चन्दलाल ने कई एक वचन शब्दों को बहुवचन बनाते समय 'न' का प्रयोग भी किया है, यथा चरणों का चरणन।
शब्द-रचना के अतिरिक्त कवि द्वारा प्रयुक्त मुहावरों पर भी विभिन्न भाषाओं के प्रभाव
कवि चन्दूलाल कृत श्री आत्मानंद जीवन चरित्र : परिचय एवं समीक्षा
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