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कर्मयोगी श्री आत्माराम जी
यह विश्व अनादि कालीन है, जहाँ निरंतर आत्माओं का आवागमन चालू है ।
आत्माएँ महान बन जाती है, जो संसार को एक नई दिशा और अलोक प्रदान कर जाती
उपाध्याय श्री वीरेन्द्र विजय
पंजाब देशोद्धारक जैनाचार्य श्री विजयानंद सूरीश्वर जी महाराज एक ऐसे ही युग पुरुष हुए हैं, जो मिथ्यात्व के अंधकार को चिरने वाले एवं असत्य के बादलों को हटाने वाले महापुरुष
थे ।
उनका समूचा जीवन स्व-पर के लिए कल्याणकारी था। समाज हित के लिए एवं स्व के लिए उन्होंने सत्य के मार्ग को चुना । सत्य का मार्ग संघर्ष का मार्ग है । जहाँ अनेकों विघ्न एवं बाधाएँ खड़ी है । उन्हें पार कर पाना सहज नहीं है । सत्यानुगामी दृढ़ता से उसे पार कर जाता है
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उन्हें भी इस मार्ग में अनेकों बाधाओं का सामना करना पड़ा। लेकिन वे अपने पथ से जरा भी विचलित नही हुए। धीरता से वे बढ़ते गए। बाधाएं भी हटती गई । सत्य की रोशनी को सबने देखा । सत्य कभी छुपा हुआ नहीं रहता ।
श्री विजयानंद सूरीश्वर जी ने हजारों को सत्य पथ के अनुगामी बनाया ।
सत्य के प्रचार के साथ उन्होंने ज्ञान प्रचार का भी महान कार्य किया । ज्ञान का कार्य प्रकाश का है ।
वे महान ज्ञानी थे, उन्होंने ज्ञान का महत्व जाना था। सैकड़ों गाथाएँ वे कुछ समय में ही
कर्मयोगी श्री आत्माराम जी
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