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सन १९३४ में लिया गया स्याद्वाद महाविद्या व्यके अध्यापकों, छात्रों
और अधिकारियोंका चित्र । बायीं ओर तृतीय पंक्तिमें पुस्तक लिये हुए तथा काला कोट और काली टोपी एवं तिलक लगाये हुए तृतीय स्थानपर कोठियाजी खड़े हुए हैं।
छात्रावस्था, १९३०
काशी हिन्दू विश्वविद्यालयके दीक्षान्त-समारोह १९५७ में एम.ए. की उपाधि ग्रहण करनेके
बाद श्री कोठियाजी Jain Education International
डॉ० कोठिया 'जैन दर्शन और प्रमाण शास्त्र' परिशीलन
ग्रन्थकी पाण्डुलिपि तैयार करने में व्यस्त
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