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दर्शन
१. अनेकान्तवाद - विमर्श
२. स्याद्वाद - विमर्श
३. संजयवेलट्ठपुत्त और स्याद्वाद
४. जैनदर्शन के समन्वयवादी दृष्टिकोणकी
ग्राह्यता
५. श्रमण-संस्कृतिकी वैदिक संस्कृतिको देन
चर्चा
७. जैन दर्शन में सल्लेखन : एक अनुशीलन
८. जैन दर्शन में सर्वज्ञता
९. अर्थाधिगम- चिन्तन
१०. ज्ञापकतत्त्व - विमर्श
६. डॉ० अम्बेडकरसे भेंटवार्तामें अनेकान्त : डॉ० अम्बेडकर और उनके दार्शनिक विचार, 'अनेकान्त', वर्ष १०, किरण ४, दिसम्बर १९४९, दिल्ली ।
: शीर्षक वही, समाधिमरणोत्साहदीपक, प्रस्तावना, अक्तूबर १९६३ ई० ।
११. ध्यान- विमर्श
न्याय
१. भारतीय वाङ्मयमें अनुमान- विचार
२. न्याय - विद्यामृत इतिहास और साहित्य
१. स्याद्वाद - सिद्धि और वादीभसिंह
२. द्रव्यसंग्रह और नेमिचन्द्र सिद्धान्तिदेव
३. शासन - चतुस्त्रिशिका और मदनक
: लोकका अद्वितीय गुरु अनैकान्तवाद, 'अनेकान्त' (मासिक), वर्ष ११, किरण १, १९५२ ।
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: स्याद्वाद, 'प्रज्ञा' भाग १, अंक १४, अक्तूबर १९६८ । : शीर्षक वही, 'अनेकान्त' वर्ष ९, कि० २, १९४८ । तथा विश्ववाणी, इलाहाबाद, जून १९४८ ।
दैनिक, वाराणसी,
: शीर्षक वही, 'आज' १९७२ ई० ।
४ मार्च
: शीर्षक वही, महावीर जयन्ती स्मारिका, १९७१ ई० ।
जयपुर,
: जैन दर्शनमें सर्वज्ञताकी संभावनाएँ, अखिल भा० दर्शन परिषद् में पठित तथा 'दार्शनिक' (त्रैमासिक) वर्ष ११, अंक १ जनवरी १९६५ में प्रकाशित ।
: जैन दर्शनमें अर्थाधिगम-चिन्तन, 'प्रज्ञा', Vol-Kiii (1), काशी हिन्दू वि० वि०, वाराणसी ।
: प्रमाण और नय, जैन प्रचारक, अगस्त-सितम्बर १९३८, दिल्ली |
: जैन दर्शन में ध्यान-विचार, जिनवाणी, योगांक, जयपुर ।
: जैन तर्कशास्त्रमें अनुमान - विचार, शोध-प्रबन्ध, प्रास्ताविक, अनुमान - विकास, संक्षिप्त अनुमान विवेचन, उपसंहार, ई० १९६९, वीर - सेवा मन्दिर ट्रस्ट, वाराणसी ।
: न्यायकी उपयोगिता, 'अनेकान्त', वर्ष ९, कि० १ ।
: शीर्षक वही, प्रस्तावना, स्याद्वाद सिद्धि माणिकचन्द्र दि० जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, १९५० ई० ।
: सम्पादकीय ( प्रति परिचय, प्रस्तावना - ग्रन्थ और ग्रन्थकार, द्रव्यसंग्रह, गणेश वर्णी दि० जैन ग्रन्थमाला, वाराणसी,
१९६६ ।
: सम्पादकीय ( प्रति-परिचय), प्रस्तावना -- शासन - चतुस्त्रिशिका और मदनकीर्ति परिशिष्ट, वीर सेवा - मन्दिर ट्रस्ट, १९४९ ।
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