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महावीर, हिन्दू धर्म आदि विषयों पर इनके दर्जनों गुजराती / हिन्दी ग्रंथ इनके दार्शनिक साहित्य के परिशीलन के निष्कर्ष रूप हैं । जैन धर्म, दर्शन तथा हिन्दू धर्म से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर अलग-अलग समय में इन्होंने सौ से भी अधिक निबन्ध लिखे हैं, इनके हिन्दी और अंग्रेजी में दर्शनशास्त्र विषय से सम्बन्धित निबन्ध विशेष रूप से प्रसिद्ध हुए हैं । पेरिस और बर्लिन में आयोजित गोष्ठियों में इन्होंने भारतीय तत्त्वज्ञान से सम्बन्धित विषयों पर अंग्रेजी में व्याख्यान दिये हैं । इतने प्रकाण्ड पण्डित होते हुए भी उनके सौम्य व्यक्तित्व में उनकी सरलता, निराभिमानवृत्ति तथा सहृदयता सहजतया प्रकाशित हो रही हैं। इनका पाण्डित्य इनके सौजन्य से सुशोभित हो रहा है और इनका सौजन्य इनके पाण्डित्य से सुशोभित हो रहा है ।
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( 'प्रबुद्ध जीवन' से साभार अनूदित )
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