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प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चन
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था और जैसा सुना वैसा ही मैंने आपको पाया । यही के लिए उत्प्रेरित करे । उनके अनघड जीवन को निखारे कारण है कि मैंने अपने इकलौते पुत्र कलेजे की कोर और अपने समान उसके जीवन को बनादे।" सदगुरुदेव इस धन्नालाल को आपश्री के चरणों में समर्पित किया और दृष्टि से सच्चे महापुरुष हैं। जहाँ वे छोटों से प्यार करते आपश्री ने उसकी उत्कट वैराग्य भावना देखकर नौ वर्ष हैं, वहाँ वे बड़ों का आदर भी करते हैं । की लघुवय में उसे दीक्षा प्रदान की और उसका श्रमण सद्गुरुदेव ने अपने शिष्यों को ही नहीं, अपितु अपनी जीवन का नाम देवेन्द्र मुनि रखा । आपश्री ने उसे पढ़ाया- शिष्याओं को भी ज्ञान और ध्यान की दृष्टि से आगे बढ़ने की लिखाया और हर तरह से उनके विकास के लिए प्रयास प्रेरणा दी। उनकी प्रबल प्रेरणा से उत्प्रेरित होकर ही मेरी किया, उन्होंने जो उत्कृष्ट साहित्य का सृजन किया है सुपुत्री महासती पुष्पावती जी ने भी अत्यधिक प्रगति की। उसका सम्पूर्ण श्रेय सद्गुरुवर्य को ही है। सद्गुरुवर्य ने और अन्य सतियों ने भी ज्ञान-ध्यान में एक आदर्श उपस्थित उनके असाता वेदनीय कर्म के अत्यधिक उदय के कारण किया । समय-समय पर जो सेवा की है, उसे देखकर मैं विस्मित हो सद्गुरुवर्य हमारी भूतपूर्व पूज्यश्री अमरसिंहजी गई। एक गुरु अपने शिष्य की इतनी सेवा करे यह एक महाराज की सम्प्रदाय के अधिनायक हैं और श्रमण संघ के आदर्श है। पाश्चात्य विचारक कारलाइल ने एक स्थान पर उपाध्याय हैं । इस सुनहरी मंगल वेला पर जब समाज आप लिखा है कि "किसी भी महापुरुष की महानता का पता श्री का अभिनन्दन कर रहा है मेरी यही शुभ भावना है लगाना है, तो यह देखना चाहिए कि वह अपने छोटों के कि हम सभी आपश्री को छत्रछाया में सदा फलते-फूलते साथ किस प्रकार का बर्ताव करता है । महापुरुष वही होता रहें और अत्यधिक आध्यात्मिक विकास करते रहें। * है जो छोटों से प्रेम करे, स्नेह से उन्हें सद्मार्ग पर चलने
तत्त्वदर्शी युग-पुरुष
महासती श्री चन्दनबाला जी
परम श्रद्धेय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी महाराज उससे वह अत्यधिक परेशान होता है। किन्तु संकल्प से आधुनिक युग के एक महान् तत्वदर्शी युग-पुरुष हैं। उनके मानव समाधि की ओर बढ़ता है। वह भोग से योग की विचार उदार और विमल हैं, उनका आचार पावन एवं ओर, राग से त्याग की ओर अपने मुस्तैदी कदम बढ़ाता है पवित्र है । उनकी वाणी में माधुर्य और ओज है । उन्होंने और अन्त में विशुद्ध संयम की, तप की व योग की साधना स्वयं ज्ञान की उत्कृष्ट साधना की और दूसरों को खुलकर कर संकल्प और समाधि में स्थिर होकर योगी ही नहीं ज्ञान प्रदान किया । उनकी दृष्टि इतनी उदात्त और व्यापक परम योगी बन जाता है। है, उसके लिए कोई पर नहीं है। सभी को समान दृष्टि से परम श्रद्धय चारित्र-चूड़ामणि पूज्य गुरुदेव एक सुप्रसिद्ध देखना उनका सहज स्वभाव है। धर्म, दर्शन, व्याकरण, विख्यातनामा आध्यात्मिक साधक हैं। अध्यात्म-साधना न्याय और आगम के आप प्रकाण्ड पण्डित हैं। संस्कृत, गगन के वे एक ऐसे जाज्वल्यमान सूर्य हैं, जो तप-त्याग के प्राकृत, अपभ्रश आदि प्राचीन भाषाओं के आप ज्ञाता हैं। दिव्य आलोक से जैन-जगत में अवतीर्ण हुए हैं और अपने शास्त्र-चर्चा में आप प्रवीण हैं । आपकी भाषण-कला जन- प्रखर प्रकाश से जैन समाज को चमत्कृत और आलोकित जन के मन को मुग्ध करने वाली है । जप-तप और ज्ञान- कर रहे हैं। एक नवचेतना, नवस्फूर्ति का पांचजन्य जनसाधना के साथ ही साथ जन-जन का कल्याण करना आपके जन के हृदयों में फूंक रहे हैं । उनके तप-त्याग की मधुर उदात्त एवं आदर्श जीवन का मुख्य लक्ष्य है। अन्धविश्वास सुगन्ध से पूरा जैन समाज सुवासित है। अन्धपरम्परा, रूढ़िवाद, जातिवाद, स्वार्थान्धता, पारस्परिक मैं अपना परम सौभाग्य समझती हूँ कि मेरी दीक्षा विषमता आदि दुर्गुणों का युक्तिपूर्वक खण्डन कर आपने आपश्री के कर-कमलों द्वारा सम्पन्न हुई। और आपश्री सद्भाव, सदाचार, स्नेह, सहयोग, सहिष्णुता और शुद्धात्म- के कुशल निर्देशन से मैंने सद्गुरुणीजी परमविदुषी वाद का प्रचार किया । धार्मिक, दार्शनिक एवं सांस्कृतिक महासती शीलकुंवर जी महाराज की असीम अनुकम्पा से विषयों पर हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी और संस्कृत भाषा ज्ञान और ध्यान में कुछ प्रगति की है। सद्गुरुणीजी में अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का सृजन किया।
महाराज के साथ वागपुरा और जोधपुर इन दोनों स्थानों संकल्प और विकल्प ये दोनों मानव मन के कार्य हैं पर आपश्री की छत्रछाया में वर्षावास करने का भी अवकिन्तु दोनों में आकाश-पाताल जितना अन्तर है । संकल्प सर मिला और भी अनेक बार सेवा करने का अवसर मिला से मानव का उत्थान होता है और विकल्प से मानव का मैंने अनुभव किया कि आपश्री जनशासन की शान हैं। पतन होता है । नाना विकल्पों के जाल में फंस कर मानव आपश्री के वरदहस्त के नीचे हम सदा उन्नति करते आधि-व्याधि और उपाधियों को निमन्त्रण देता है और रहें यही मेरा अभिनन्दन और अभिनन्दन है।
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