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श्री करमुनि अभिनन्दन ग्रन्थ : षष्ठम खण्ड
धर्मभूषण
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विशालकीति
J धर्मचन्द्र
देवेन्द्रकीर्ति
धर्मचन्द्र
देवेन्द्रकी र्ति
पद्मनन्दि
देवेन्द्रकीर्ति
विशाल कीर्ति (निमणव्रत कथा)
अजितकीति
( अगली तालिका देखें)
महीचन्द्र (आदिनाथपुराण)
गंगादास (पार्श्वनाथ मवान्तर बादि) (सन् १९६०)
( सम्यक्त्वकौमुदी आदि) (सन् १६९६ )
जिनसागर (जीवन्धरपुराण आदि) (सन् १७२४)
दिख (स्वात्मविचार )
उपयुक्त लेखकों में पासलीति का मूल नाम वीरदास था। इनके कुछ गीत भी मिले हैं। ये और इनके शिष्य औरंगाबाद में गुरु द्वारा नियुक्त हुए थे। गंगादास की कुछ संस्कृत और हिन्दी रचनाएँ भी मिलती है जिनसागर की नो कथाएं, सात स्तोत्र तथा सात आरतियाँ भी मिली हैं। इन्होंने मी संस्कृत और हिन्दी में कुछ रचनाएँ लिखी है। महतिसागर की चार कथाएं मिली हैं। गंगादास, जिनसागर और महतिसागर ने विविध छन्दों में खिखा है । शेष लेखकों ने ओवी छन्द का प्रयोग किया है ।
महतिसागर (स्वर्गवास सन् १८३२ ) (संबोधसहस्रपदी आदि )
उपर्युक्त तालिका में उल्लिखित धर्मभूषण-शिष्य अजितकीति की परम्परा लातूर (उस्मानाबाद जिला) क्षेत्र में काफी विस्तृत हुई। इसकी तालिका इस प्रकार है
अजितकीर्ति
पुण्यसागर
( रविव्रत कथा )
पासकीति (सुदर्शनचरित्र, सन् १६२७)
मानुकीति (कुछ पद)
1 साबाजी
दयासागर
(सम्यक्त्वकौमुदी) (धर्मामृतपुराण) (भविष्यदत्तबन्धुदत्त पुराण)
( सुगन्धदशमी कथा )
(सन १६६५)
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चिमना पंडित
( अनन्तव्रत कथा आदि )
(स्थान पैठन, औरंगाबाद जिला)
पद्मकीर्ति
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विद्याभूषण
I हेमशीति
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