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________________ १८ भी पुष्करमुनि अभिनन्दन प्रन्य + + ++++ ++ ++++ ++ ++ ++ विदुषी महासती श्रीमती जी आपकी जन्मस्थली उदयपुर जिले के गोगुन्दा ग्राम में है । वि० सं० १९८१ (सन् १९२४) भाद्रपद शुक्ला पंचमी को आपका जन्म हुआ। आपके पिताश्री का नाम देवीलाल जी सेठ और माता का नाम मोहनबाई था। आपका गृहस्थाश्रम का नाम कोयलबाई था। आपने वि० सं० १९१६ ज्येष्ठ कृष्णा ग्यारस को (सन् १९४२) में नाथद्वारा में अपने पति नजरसिंह जी के साथ महासती प्रभावती जी के पास दीक्षा ग्रहण की। आपका प्रवचन मधुर ओजस्वी होता है । तप के प्रति आपका विशेष आकर्षण है। महासती प्रेम कुंवर जी आपका जन्म १९६१ वि० सं० में उदयपुर जिले के वागपुरा ग्राम में हुआ। और आपका पाणिग्रहण करणपुर के लालचन्द जी पोरवाल के साथ संपन्न हुआ। महासती श्री प्रभावती जी महाराज के उपदेश को सुनकर वि० सं० २००३ आषाढ़ सुदी दशमी को (सन् १९४६) में दीक्षा ग्रहण की । आप सरल स्वभावी और सेवाभावी हैं । आप श्री के पुत्र ने भी दीक्षा ग्रहण की जिनका नाम गणेश मुनि जी है । स्थविरा महासती चन्द्र कुवर जी आपका जन्म उदयपुर राज्य के कानोड़ ग्राम में वि० सं० १९५४ में हुआ और आपश्री का पाणिग्रहण पन्ना लाल जी मेहता के साथ सम्पन्न हुआ। आपका गृहस्थाश्रम का नाम लहरी बाई था। महासती श्री प्रभावती के सदुपदेश से प्रभावित होकर अपनी पुत्री चन्द्रवतीजी के साथ वि० सं० २००४ (सन् १९४७) महा सुदी तीज को कपासन में दीक्षाग्रहण की। आप शान्त-दान्त व सेवा भावी महसती हैं। बाल-ब्रह्मचारणी विदुषी महासती चन्द्रवती जी आपका जन्म विक्रम सम्वत् १९६३ में उदयपुर-राजस्थान में हुआ। आपके पिताश्री का नाम पन्नालालजी मेहता और माता का नाम लहरीबाई था। आपने परम विदुषी महासती पुष्पवतीजी के सदुपदेश से सम्वत् २००४ माघ सुदी तीज में (सन् १९४७) कपासन ग्राम में दीक्षा ग्रहण की। आपने संस्कृत, प्राकृत तथा हिन्दी भाषा का अच्छा अभ्यास किया। जैन सिद्धान्ताचार्या परीक्षा भी उत्तीर्ण की। मगध का राजकुमार मेघ, आपका खण्डकाव्य है । और 'दिव्यपुरुष' भगवान महावीर से सम्बन्धित उपन्यास है । आपके कई लेख प्रकाशित हुए हैं। आपका व्याख्यान तात्त्विक और मधुर होता है। महासती श्री सायर कुवर जी आपका जन्म उदयपुर के सन्निकट देलवाड़ा में विक्रम सम्वत् १९७० (सन् १९१३) में हुआ। आपके पिता श्री का नाम गेरीलालजी खेत-पालिया और माता का नाम नाथीबाई था। आपका विवाह गोगुन्दा निवासी रतनलालजी छाजेड़ के सुपुत्र फकीरचन्दजी के साथ हुआ था। आपने विदुषी महासती शीलकुवर जी के उपदेश से विक्रम सम्वत् २००५ (सन् १९४८) माघ सुदो पंचम को गोगुन्दा ग्राम में दीक्षा ग्रहण की। आपको आगमों तथा थोकड़ों का अच्छा ज्ञान है । आपका स्वभाव मधुर है और सेवाभाविनी हैं। महासती रतन कुवर जी आपका जन्म वि० सं० १९८२ में उदयपुर के सन्निकट बम्बोरा में हुआ। आप ओसवाल वंश की है। आपने महासती श्री कैलाश कुंवरजी के सदुपदेश से सम्वत् २००५ (सन् १९४८) माघ सुदी तेरस को उदयपुर में दीक्षा ग्रहण की । आप चौपाई आदि का वांचन बहुत ही सुन्दर करती हैं। बाल-ब्रह्मचारिणी विदुषी श्री कौशल्या जी आपका जन्मस्थल नान्देशमा-मेवाड़ है । आपके पिताश्री का नाम लाडू जी पालीवाल तथा माता का नाम वरदीबाई है। आपका जन्म विक्रम सम्वत् १६६६ (सन् १९३६) में हुआ। आपने सम्वत् २००५ (सन् १९४८) पौष शुक्ला पंचमी को महासती श्री सज्जन कुवरजी के सदुपदेश से देवास (मेवाड़) में दीक्षा ग्रहण की। आपके भाई भी दीक्षित हैं। आपने संस्कृत, प्राकृत और हिन्दी का अच्छा अध्ययन किया है और जैन सिद्धान्तचार्या परीक्षा भी उत्तीर्ण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012012
Book TitlePushkarmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
PublisherRajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1969
Total Pages1188
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size39 MB
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