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श्री पुष्करमुनि अभिनन्दन ग्रन्थ
बहुत शान्त स्वभावी, सरल आत्मा सती हैं । आपकी वाणी में अत्यन्त मिठास है। आपके व्याख्यान मधुर और मनोहर होते हैं। बाल ब्रह्मचारिणी विदुषी महासती श्री शीलकुंवर जी
आप बहुत प्रतिभा सम्पन्न साध्वी हैं । आपकी जन्मस्थली उदयपुर राज्य के खाखट ग्राम है। आपका जन्म संवत् १९६६ भाद्रपद अष्टमी को (सन् १९१२) हुआ। आपश्री के पिता का नाम धनराज जी पोरवाड़ और माता का नाम शंभु कुवर बाई था। आपकी सगाई उदयपुर निवासी किसनलाल जी के सुपुत्र मोहनलाल जी के साथ हुई थी। आपका नाम रोडी बाई था । आपने शान्तस्वभाविनी महासती श्री धूलकुवर जी के सदुपदेश से प्रभावित होकर अपनी मातेश्वरी शंभु कुवर जी के साथ वि. सं. १९८२ (सन् १९२५) फाल्गुण शुक्ला द्वितीया को खाखट में आहती दीक्षा ग्रहण की। आपने आगम साहित्य, स्तोक साहित्य, तथा संस्कृत-प्राकृत उर्दू भाषा का अच्छा अध्ययन किया। आपकी प्रवचन शैली अत्यन्त मधुर, रोचक और वैराग्योत्पादक है। आगम के गुरु गंभीर रहस्यों को आप सुगमता से सुलझाती हैं, जिसे सुनकर श्रोता झूम उठते हैं। भगवान महावीर निर्वाण शताब्दी के अवसर पर आपश्री ने उपदेश प्रदान कर पच्चीस-सौ जीवों को अभयदान दिलवाया। स्वाध्याय सुधा, जैन तत्त्वबोध, आदि पुस्तकें आपके द्वारा संपादित व प्रकाशित हैं। सेवामूर्ति महासती श्री चतुरकुवर जी
आपका जन्म मेवाड़ राज्य के थांवला ग्राम में हुआ। आपके पिताश्री का नाम चंपालाल जी सियाल और माता जी का नाम लवलीबाई था । आपने वि० सं० १९७२ (सन् १९२७) में परम विदुषी महासती सोहन कुवर जी महाराज के उपदेश से सादड़ी मारवाड़ में प्रव्रज्या ग्रहण की। आप बहुत ही शांत-दांत और गंभीर प्रकृति की हैं। वय्यावच्च आपके जीवन का विशिष्ट गुण है। नन्हीं से नन्हीं साध्वी की भी सेवा करने में आपको अपार आल्हाद होता है । अतः सभी साध्वियाँ 'माँ' के सम्बोधन से आपको पुकारती हैं। सेवामूर्ति महासती सुन्दरकुंवर जी
आपका जन्म वि० सं० १९६६ में उदयपुर जिले के गोगुन्दा (मेवाड़) ग्राम में हुआ। आपके पिता का नाम केसूलाल जी हरकावत था। आपका विवाह गोगुन्दा निवासी चिमनलाल जी मेहता के साथ हुआ था। आपने महासती श्री शंभु कुवर जी के उपदेश को श्रवण कर पति का त्याग कर वि० सं० १९८६ माह सुदी पंचमी (सन् १९३२) को नाथद्वारा में दीक्षा ग्रहण की। आपको स्वाध्याय, तप तथा सेवा-कार्य अत्यधिक प्रिय है। बाल ब्रह्मचारिणी विदुषी महासती श्री कुसुमवती जी
आपका जन्म उदयपुर जिले के देलवाड़ा ग्राम में सं. १९८२ (दि० ७-६-१९२५) आश्विन कृष्णा पंचम को हुआ । आपके पिताश्री का नाम गणेशलालजी कोठारी और मातेश्वरी का नाम कैलास कुवर जी था। आपका नाम नजर बाई था। आपने विदुषी महासती सोहनकुंवर जी के उपदेश से वि० सं० १९६३ (सन् १९३६) के फाल्गुन शुक्ला दशमी के दिन अपनी मातेश्वरी के साथ देलवाड़े में दीक्षा ग्रहण की। आपने संस्कृत, प्राकृत, न्याय, व्याकरण का अच्छा अभ्यास किया और क्वीन्स कालेज, बनारस की व्याकरण, मध्यमा और पाथर्डी की जैन सिद्धान्ताचार्या परीक्षाएं समुत्तीर्ण की । आपका कण्ठ बहुत ही मधुर और प्रवचन शैली चित्ताकर्षक है।। बाल ब्रह्मचारिणी विदुषी महासती पुष्पवती जी
आपकी जन्मस्थली उदयपुर है । आपके पिताश्री का नाम जीवनसिंह जी बरडिया और मातेश्वरी प्रेमकुवर बाई थीं । आपका जन्म वि० सं० १९८१ (सन् १९२४) मार्गशीर्ष कृष्णा अष्टमी को हुआ । आपने परम विदुषी महासती श्री सोहनकुवरजी महाराज के उपदेश से प्रभावित होकर वि० सं० १९९४ (सन् १९३७) में माघशुक्ला तेरस को उदयपुर में दीक्षा ग्रहण की। आपने संस्कृत, प्राकृत, न्याय, काव्य, हिन्दी का उच्च अध्ययन किया । क्वीन्स कालेज, बनारस की व्याकरण मध्यमा, काव्यमध्यमा, साहित्यरत्ल आदि परीक्षाएं समुत्तीर्ण की। जैन आगम साहित्य का गहराई से अध्ययन किया । आपका प्रवचन सरल, सरस और मधुर होता है। और प्रत्येक विषय के अन्तस्थल तक पहुँचने का प्रयास करती है । आपके अनेक लेख प्रकाशित होते रहे हैं । आपकी मातेश्वरी भी दीक्षिता है।
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