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श्री पुष्करमुनि अभिनन्दन ग्रन्थ
त्रिक उत्कृष्टता रखते हुए आपने संघीय एकता का झण्डा सदा ऊंचा रखा है। श्रमण-संघ के संगठन, जैन एकता और मानवीय सद्भाव के प्रचार हेतु आपश्री ने न जाने कितनी कुर्बानियां की हैं, पद-प्रतिष्ठा और शारीरिक-सुविधाओं का बलिदान कर आपने सदा ही संगठन की नींव को सुदृढ़ किया है। श्रमण-संघ एवं स्थानकवासी श्रावक समाज आपके इन सद् प्रयत्नों का सदा आभारी रहेगा। जिनशासन-प्रभावक!
आपश्री ने अपना सम्पूर्ण जीवन जिन-शासन की सेवा में समर्पित कर दिया है। मारवाड़, मेवाड़ मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, देहली और उत्तरप्रदेश के सुदूर अंचलों में पाद-विहार के अकथनीय कष्ट सहन करते हुए आपश्री ने जैनधर्म के लोक-कल्याणकारी सिद्धान्तों का सतत प्रचार किया है। अपने प्रवचन, लेखन, उपदेश तथा अन्य बहु आयामी सक्षम व्यक्तित्व के द्वारा जिन-शासन की प्रभावना में चार चाँद लगाये हैं, वह इतिहास का एक स्वर्णिम पृष्ठ कहलायेगा। श्रेष्ठ जीवन-निर्माता!
___ आपने तप, त्याग, वैराग्य एवं ज्ञान की श्रेष्ठ साधना द्वारा न केवल स्वयं के जीवन का ही निर्माण किया है, किन्तु हजारों-हजार श्रद्धालुओं के जीवन में भी धर्म का नव-प्राण संचरित किया है। आप एक कुशल कलाकार हैं, आप के हाथों से अनेक चमत्कारी व्यक्तियों का निर्माण हुआ है, जिनकी ज्ञान-गरिमा से जैन जगत गौरवान्वित है। श्रुत-देवता की समुपासना में आपका व आपश्री के प्रबुद्ध शिष्य परिवार का योगदान चिरस्मरणीय है। इसलिए हम आपको न केवल एक श्रेष्ठ व्यक्तित्व बल्कि श्रेष्ठ व्यक्तित्व निर्माता भी मानते हैं। आप जीवन के कलाकार ही नहीं, किन्तु कलाकारों के निर्माता भी हैं। ज्योतिपुज!
आपके जीवन की इस पवित्र रेशमी चादर का ताना-बाना बड़ा रमणीय है। इसमें क्षमा, उदारता, सरलता, विनम्रता, मधुरता और सेवा भावना का ताना जुड़ा है तो विचारशीलता, बहुश्रुतता, तर्कपटुता एवं जिन-प्रवचन निष्ठा का स्वर्णिम बाना भी अनुस्यूत हुआ है । गुणों की बहुरंगता व तेजस्विता ने जीवन-चादर को विलक्षण आभा प्रदान की है, जो दर्शक के हृदय को सहसा आकृष्ट ही नहीं किन्तु चरणों में विनत भी कर लेती है।
आपके उदात्त चरित्र का वर्णन करना मानव-जिह्वा के लिए सम्भव नहीं; हम सिर्फ अपनी आत्मतुष्टि एवं गुरु-भक्ति के लिए ही विनम्र हृदय से आज आपके श्रीचरणों में उपस्थित होकर पूना श्रीसंघ की ओर से आपश्री के ६६वें पावन जन्म दिवस पर भाव-भीनी वन्दना करते हुए शतायु होने की मंगल कामना करते हैं। आपश्री समस्त श्रीसंघ की ओर से इस अभिनन्दन-पत्र के रूप में हमारी अनन्त-अनन्त हार्दिक श्रद्धा को स्वीकार कर अनुग्रहीत करेंगे।
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आश्विन शुक्ला चतुर्दशी दिनांक १६-१०-७५ सादड़ी सदन, पूना
हम हैं आपश्री के कृपाकांक्षी विनयावनत स्थानकवासी जैन श्रीसंघ
साबड़ी सदन, पूना
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