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समर्पण
जिनके जीवन में मैंने देखीबालक सी सरलता, सहजता, मृदुलता तरुण सी कर्मठता, कर्त्तव्यशीलता, दृढ़ता वृद्ध सी गंभीरता, परिपक्वता, स्थिरता जप व ध्यान की निर्मल ज्योति से जिनका अन्तःकरण था प्रकाशमान । चारित्र एवं तप की सम्यक्साधना से, जिनका जीवन था दीप्तिमान ।
उन श्रद्धालोक के देवतायोग विभूति, श्रद्धेय पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री पुष्कर मुनिजी के श्री चरणों में समर्पित है भावों के सदाबहार सुवासित सुमनों की माला, हम सबकी श्रद्धा-आस्था-प्रणति का अक्षय स्मृतिकोष ।
-आचार्य देवेन्द्र मुनि
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