________________
का पालन
1५९४
उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति-ग्रन्थ । है, इससे अधिक अनाज का भार उदर की पाचन शक्ति पर नहीं । ५. भोजन के दौरान बीच में थोड़ा-थोड़ा जल लेना चाहिए। डाला जाना चाहिए।
भोजन के बाद बहुत अधिक जल नहीं पीना चाहिए। यह एक तथ्य परक स्थिति है कि अनाज हो या शाक-फल ६. सामान्यतः दिन में दो बार भोजन करना चाहिए और दोनों आदि हों, उनके छिलकों में अपेक्षाकृत अधिक पोषक तत्व रहते हैं। भोजनों के मध्य लगभग छह से आठ घंटे का अन्तराल (अन्तर) अतः विभिन्न अनाज, दालों और फलों का उपयोग यदि छिलका होना चाहिए। इससे भोजन के पचने में सुविधा रहती है और सहित किया जाता है तो वह अधिक लाभदायक और स्वास्थ्यवर्धक भोजन का परिपाक ठीक होता है। होता है। गेहूँ, चना आदि को अंकुरित कर लिया जाए और प्रातः ।
७. दिन भर मुँह चलाते रहने की आदत ठीक नहीं है। उन भीगे व फूले हुए चनों को खाया जाय तो उससे न केवल
बार-बार कुछ न कुछ खाते-पीते रहना पाचन सिद्धान्त के विरुद्ध शरीर की आहार सम्बन्धी दैनिक आवश्यकता की पूर्ति होती है,
और हानिकारक है। इससे पाचन शक्ति प्रभावित होती है और वह अपितु वह गुणकारी एवं पौष्टिक भी होता है। अन्न द्रव्य को
बिगड़ जाती है जिससे भोजन के परिपाक में बाधा आती है और भिगोकर उसे भीगे तौलिया में बांधकर हवा में लटका दिया जाय
आहार का परिपाक जैसा होना चाहिए वैसा नहीं हो पाता है। अतः तो वह अन्न द्रव्य स्वयं की अंकुरित हो जाता है। उसे कुचलकर या
बार-बार खाने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए। ऐसे ही खाया जा सकता है। थोड़ा सा उबाल लेने पर सुखादु खाने लायक एवं रुचिकर तो बन जाता है, उसकी पोषक शक्ति में
८. भोजन करने के बाद लगभग १०० कदम चलना चाहिए। अपेक्षाकृत अधिक वृद्धि हो जाती है। पेट खाली हो जाने पर और ९. ग्रीष्म आदि ऋतु में भोजन के बाद यदि लेटने की आदत है तेज भूख लगने पर यदि देर तक चना चबाकर खाया जाय तो तो बाँई करवट से लेटना चाहिए। साधारण आहार भी विशेष गुणकारी हो जाता है।
१०. भोजन में सामान्यतः चोकर युक्त युक्त आटा, जौ, यह तथ्य परक वस्तु स्थिति है कि गेहूँ आदि अनाज का पिसा । चावल, दालें, चना, घी, तक्र, सोयाबीन, ताजी हरी तरकारियों हुआ आटा छानकर प्रयोग करने से उसके पुष्टिकारक और । आदि का सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त आवश्यकतानुसार बलवर्धक तत्व चोकर में निकल जाते हैं और आटा सार हीन बन । नीबू, अदरक, आंवला आदि का प्रयोग भी करना चाहिए। जाता है। अतः सदैव चोकर युक्त आटे का प्रयोग करना चाहिए।
११. भोजन के अन्त में ऋतुओं के अनुसार उपलब्ध फल जैसे । इसी प्रकार मूंग और उड़द की दालें छिलका सहित ही सेवन करना ।
केला, अमरूद, अनार, संतरा, नाशपाती, सेब आदि का सेवन चाहिए। सेव जैसे फलों का छिलका उतार कर खाना बुद्धिमानी नहीं
करना चाहिए। है। अपने आपको सुसंस्कृत समझने वाले भले ही इसे आज सभ्यता का तकाजा मानकर सेब का छिलका उतारकर खाएँ, किन्तु यह
१२. सबसे अंत में तक्रपान करना अत्यन्त लाभदायक है। स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी और लाभदायक नहीं होता है। १३. प्रतिदिन दही सेवन नहीं करना चाहिए। रात्रि में दही का । जलपान में दूध-छाछ जैसे द्रव प्रधान आहार लेना पर्याप्त एवं प्रयोग हानिकारक होता है। अतः बिल्कुल नहीं करना चाहिए। उपयोगी होता है, प्रात:कालीन नाश्ता में यथा सम्भव ठोस आहार
१४. पानी का सेवन भी हमारे शरीर के लिए उपयोगी एवं का परिहार करना चाहिए।
आवश्यक आहार के रूप में माना जाता है। भोजन के दौरान थोड़ा भोजन के सम्बन्ध में निम्न बातों का ध्यान रखा जाना पानी पीना उपयोगी होता है। भोजन करने के एक घंटे बाद से आवश्यक है :
लेकर दूसरा भोजन लेने तक पाँच-छह ग्लास पानी पीते रहने से। १. सामान्यतः भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए, बिना ।
पेट और रक्त की सफाई होती रहती है। भूख के जबरदस्ती भोजन करना शरीर की पाचन क्रिया और आहार सेवन क्रम में वास्तव में यदि रखा जाय तो मनुष्य की। स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
एक सीमा मर्यादा होती है जो उसकी प्रकृति या स्वभाव के अनुकूल २. भरपेट या लूंस-ठूस कर भोजन करना शरीर की पाचन
रहती है। यदि इसका व्यतिक्रम नहीं किया जाय तो मनुष्य की उदर क्रिया और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अतः ढूंस-ठूस कर।
सम्बन्धी स्वाभाविक स्थिति सामान्य बनी रह सकती है और उसके भोजन नहीं करना चाहिए।
उदरगत पाचन तन्त्र की कार्यक्षमता में कोई गतिरोध उत्पन्न होने
की सम्भावना समाप्त हो जाती है। उदरगत आंत्र, अमाशय, यकृत, ___३. भोजन करते समय किसी चिन्ता से ग्रस्त या तनावपूर्ण
प्लीहा आदि अवयवों से प्रवित होने वाले विभिन्न स्राव (पाचक स्थिति में नहीं होना चाहिए।
रस) वनस्पतियों तथा वनस्पतिक द्रव्यों से बने आहार को ४. खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह चबा-चबाकर खाना चाहिए। सम्यक्तया पाचित कर उसे रस-रक्त मांस आदि धातुओं में खाना खाने में जल्द बाजी नहीं करना चाहिए।
परिवर्तित कर शरीर को पुष्ट करने का कार्य करते हैं। प्रत्येक
8000
CRICUDAM
राज्यपत्यकos Patoosas%200000000000
0 0000 0 0000000hanelersy-sot 0900CsDateeRamesgaaDa60900906003005065 3
ॐ00.0000.00
20.50