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________________ ●अध्यात्म साधना के शास्वत स्वर पुद्गलों से बचाव करते हैं अपने यहाँ जहाँ तक मैंने खोज की है। इनका वर्णन कहीं नहीं मिलता है। संकल्प शक्ति इच्छा शक्ति और मन की शक्ति को विकसित करने के लिए मंत्र की साधना का विधान है इसकी साधना के द्वारा, जप के द्वारा ऊर्जा शक्ति बढ़ती है, प्राण शक्ति जागृत होती है तब उसके प्रयोग दो दिशाओं में होते हैं। एक दिशा है सिद्धि की ओर दूसरी है आन्तरिक व्यक्तित्व के परिवर्तन की । तैजस् शरीर का विकास होने पर सम्मोहन, वशीकरण, वचन-सिद्धि, रोग निवारण, विचार संप्रेषण आदि अनेक चमत्कारिक सिद्धियाँ उपलब्ध होती हैं। यदि इच्छा-शक्ति का जागरण हो जाये। इच्छा व इच्छा शक्ति में भेद हैं, फरक हैं। जब तक अज्ञान रहता है तब तक इच्छा रहती है और ज्ञान तीव्र होने पर वही इच्छा, इच्छा शक्ति का रूप धारण कर लेती है। जब तक आत्मा उस अनुत्तर ज्ञान को प्राप्त नहीं करती तब तक उसकी इच्छा, इच्छा मात्र है, इच्छा शक्ति नहीं है। इच्छा-शक्ति के द्वारा मनचाहा नियंत्रण करना संभव है। भावना और इच्छा-शक्ति का योग हर प्रकार की सिद्धि को संभव बना सकते हैं। विचारों को धारण करने वाले शब्द किसी भी पदार्थ के माध्यम से गमन कर सकते हैं। अत्यन्त प्रबल इच्छा-शक्ति के द्वारा जो रहस्यमयी शक्ति सक्रिय होती है वह शक्ति पूर्णतया स्वचालित और अवैयक्तिक होती है । उसका लक्ष्य गुण दोष से कोई सरोकार नहीं रखता। श्राप देने में यही शक्ति काम करती है। गुण दोष से बिल्कुल हटकर इससे उसका कोई सम्बन्ध नहीं। इच्छा की तृप्ति हुए बिना मुक्ति भी नहीं होती। जब तक एक भी वासना अतृप्त रहेगी तब तक मुक्ति असंभव है। काम का त्याग, इच्छा का परित्याग व वासना को दूर करके ही मुक्ति प्राप्त की जा सकती है सृष्टि चक्र से बाहर जाया जा सकता है। तंत्र-मंत्र, औषधियां, रत्न व वनस्पतियां इनका अचिन्त्य प्रभाव होता है। जिसकी कोई कल्पना नहीं की जा सकती। प्रत्येक पदार्थ से महामंत्र के पद्य ॐ ह्रीं णमो अरहंताणं ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं ॐ ह्रीं णमो आयरियाण ॐ ह्रीं णमो उवज्झायाणं ॐ ह्रीं णमो लोए सव्व साहूणं 620 alice loternational 00:00 Dog ग्रह चन्द्र और शुक्र सूर्य और मंगल गुरु बुध शनि, राहु, केतु रंग श्वेत रक्त पीला नीला काला ५५१ अनंत परमाणु निकलते हैं और अनंत परमाणु वे ग्रहण करते हैं। एक पदार्थ से दूसरे पदार्थ में परमाणु संक्रमित होते हैं। प्रत्येक पदार्थ दूसरे पदार्थ से प्रभावित होता है। हम भी अपने आपको इन संक्रमणों से नहीं बचा सकते हैं। जिस ग्रह में जो व्यक्ति जन्म लेता है उन ग्रहों के विकिरण व्यक्ति को प्रभावित करते हैं। इस आकाश में विचरण करने वाले ग्रहों के परमाणु भी हमें संक्रान्त करते हैं, प्रभावित करते हैं। इसीलिए ज्योतिषियों ने रत्न धारण करने का विधान किया। ग्रहों से आने वाले विकिरण को झेलने की रत्नों में असीम क्षमता होती है। इनको धारण करने से उन विकिरण से होने वाले से बचा जा सकता है। घटना का जो निमित्त बनता दुष्प्रभाव है व निमित्त टल जाता है, वनस्पतियों का प्रभाव भी बहुत शक्तिशाली होता है। रत्नों के अभाव में वनस्पतियों के प्रयोग का विधान भी बताया गया है। वो भी वो ही काम करते हैं जो रत्न करते हैं। एकाक्षी नारियल, हाथाजोड़ी, रुद्राक्ष ये भी तो वनस्पतियों के फल है। बहुत काम करते हैं भाग्य परिवर्तन में जिस तरह वनस्पतियों को कूट-पीसकर, घोटकर अवलेह, भस्म बनाते हैं उसी तरह यदि इनको भी ऊर्जा से भर दिया जाय, जागृत कर लिया जाये तो ये भी बहुत प्रभावशाली कार्य करते हैं-अकल्पनीय शक्ति का जागरण होता है इनमें वही बात दक्षिणावर्त्तीशंख में है। सनातन संस्कृति के ग्रन्थों में जहाँ पुरुषोत्तम क्षेत्र का विवरण आता है यहाँ बताया गया है कि महाशून्य से वैकुण्ठ का स्वरूप दक्षिणावर्ती शंख के सदृश्य दिखाई देता है इसलिए पूर्ण विधि विधान के साथ इनको जागृत कर घर में स्थापित किया जावे तो बहुत ही उत्तम, भाग्यशाली व लक्ष्मीप्रद माना गया है। रंग पांच होते हैं-श्वेत, रक्त, पीला, नीला और काला। महामंत्र के पाँचों पदों का ध्यान भी पांच अलग-अलग इन्हीं रंगों के साथ अलग-अलग केन्द्रों पर किया जाता है। नौ ग्रहों के भी ये ही पांच रंग होते हैं। इन ग्रहों को योगियों ने हमारे शरीर में अलग-अलग जगह इनको स्थापित किया है। जैन मनीषियों ने निम्न रूप से बताया है ध्यान ज्ञान केन्द्र दर्शन केन्द्र विशुद्धि केन्द्र आनन्द केन्द्र शक्ति केन्द्र Private & Personal Use Ont रंग का स्वभाव कर्म निर्जरा करने वाला वशीकरण करने वाला स्तम्भन करने वाला प्रतिपक्षी को विक्षुब्ध करने वाला मृत्यु व पीड़ा देने वाला
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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