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जमीडायरिया नमीतकमाण
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"क्यूँ" छोड़ गये गुरुवर !"-- एक अनन्त अबूझ जिज्ञासा भरी दृष्टि से अपलक निहार रहे हैं गुरुदेव के परमभक्त सेठ श्री चुन्नीलाल जी धर्मावत तथा श्रद्धा भरा प्रणाम लो!की मुद्रा में श्री परमेश्वरजी धर्मावत
श्रीपुष्कर मुनिजी म.
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अर्हनिशं सेवामहे का दृढ़ संकल्प लिये चादर महोत्सव से महाप्रयाण उत्सव तक रात-दिन सेवा में जुटे उदयपुर तथा अन्य स्थानों से समागत उत्साही युवकगणः गुरुदेव के महाप्रस्थान से पूर्व यात्रा की तैयारी में.
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