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दिल्ला प्रदशाव रायासयोगीरा
पूज्य उपाध्यायश्री प्रवचन की भिन्न-भिन्न मुद्राओं में१. मंगलाचरण करते हुए २. शास्त्र-रहस्य समझाते हुए ३. उदाहरण एवं दृष्टान्त देते हुए ४. निर्भीक उद्बोधन
यजा
एभटाबजार
जय हो
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