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सदा जप-तप ज्ञान-ध्यान में रहते अहर्निश लीन! आप थे
"महान् धर्म प्रचारक”
भारत वर्ष में कर पाद विहार
जनता में फूँकी
एक नूतन चेतना!
आप थे
"राष्ट्रसन्त"
जन-जन के
धर्ममयी विचारों के उन्नायक ! गुणों का महान् पुष्कर-तीर्थ अनेकानेक भव्य प्राणियों के जीवन का कलिमल धो गया।
एक ज्योतिर्मय जीवन.....॥
प्रथम पुण्य तिथि पर हे युगस्रष्टा ! आत्मद्रष्टा !!
स्वीकारो यह भावनाआप जहाँ कहीं भी हों चिर-शांति प्राप्त करें
दूर गांव से
स्मृतियों के पंख पर आती हुयी
"पुष्कर" वचनों की आभातरंगों को मैं
जब सुन पाता हूँ तो
काले काले बादलों से भरा हुआ आकाश छँट जाता है
झूम-झूम कर स्नेह वर्षा होने लगती है........... पंख फैलाये उड़ान फरते पंछी,
झूम झूम कर नहाते हुए पेड़,
रोम रोम से सिहरन भरतीगंध भरी मस्त पुरवाई.
मुझे जीवन का एक नया संगीत सुनाने लगते हैं.
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करें वरणशाश्वत सुखों को !
महामना
उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति ग्रन्थ
परम श्रद्धेय उपाध्यायश्री पुष्कर मुनिजी महाराज साहब को
भावभीनी श्रद्धाञ्जलि ! हार्दिक गुणा अलि!!
निर्मल कुसुमाञ्जलि !!! ज्ञान-दर्शन- चारित्र-तप-रूप गुरुदेव को
हार्दिक शतशः वन्दन !
सहस्रशः अभिनन्दन !!
उपाध्यायश्री
गुरुवर "पुष्कर" के गुणगान से
मम लेखनी का कण-कण
पावन हो गया......॥ एक ज्योतिर्मय जीवन तिरोहित हो गया निज व्यक्तित्व की छोड़ सुवास अनंत में न जाने कहाँ खो गया... न जाने कहाँ सो गया
!!
पुष्कर मुनि की पुरवाई
"पुष्कर" मुनि ने कहा था, जो दूसरे को बदलने से पहले स्वयं को बदल लेता है,
वह सच्चा सुधारक है...
- प्रा. जवाहर मुथा, अहमदनगर
निसर्ग, पेड़, पौधे, वर्षा, फूल, फूल, कलियाँ नदी प्रवाह सब बदल लेते हैं, पहले अपने आप को !
वे सच्चे सुधारक हैं, और फिर वे कहते हैं कि इस तरह बदलो की दुनिया के काम आ सकेको.......
पुष्कर मुनिजी के सारे वचन जलतरंग की तरह बजते हुए तालाब जैसे हैं......
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