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२८ : डॉ० महेन्द्रकुमार जैन न्यायाचार्य स्मृति-ग्रन्थ इस शताब्दी के महान विद्वान् • श्री राजकुमार सेठी, कलकत्ता
डॉ० महेन्द्रकुमार जैनने न्यायशास्त्रमें दुरूहसे दुरूह ग्रन्थोंका सम्पादन कर जो महान कार्य किया है उसके लिए उनके प्रति जितनी भी कुतज्ञता ज्ञापित की जाय वह कम हो होगी। वे इस शताब्दीके महान् विद्वानमें से थे। ऐसे विद्वानको श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके स्मृति ग्रन्थको सफलताके लिए कामना करता हूँ।
शुभकामना • डॉ. शशिकान्त जैन, लखनऊ
डॉ० महेन्द्रकुमारजी पिताजी ( डॉ. ज्योतिप्रसादजी जैन ) के मित्र थे और उन्हें गुरुवत् सम्मान एवं श्रद्धा देते थे। उसी माध्यमसे मेरा भी उनसे अप्रत्यक्ष परिचय था। काशी हिन्दू विश्वबिद्यालयमें जैनदर्शनके प्राध्यापकके रूप में उन्होंने विशेष ख्याति प्राप्त की थी। उनकी अध्ययनशीलता और सरलताने मुझे आकर्षित किया था । ग्रन्थके सफल प्रकाशनके लिए मेरी शुभकामना है । महान विभूति को शत-शत नमन • श्री सुभाष जैन, दिल्ली
डॉ० महेन्द्रकुमारजीके दर्शनोंका सौभाग्य मुझे नहीं मिला, किन्तु उनके कार्यसे उनको प्रतिभाका अनुमान लगाया जा सकता है । डाक्टर साहब इस पीढ़ोके ऐसे विद्वान् थे जिनके समक्ष चिन्तन और रचनाके अतिरिक्त अन्य कोई कार्य नहीं था। उन्होंने जो भी कार्य किया वह समर्पित भावनासे किया ।
आजके युगमें जब आगमको लेकर तरह-तरहकी भ्रान्तियाँ उत्पन्न हो रही हैं इस प्रकारको सभी धारणाओंका निवारण उन्होंने किया है। समाजको उनके सान्निध्यकी अधिक आवश्यकता थी, किन्तु क्रूर कालने हमसे वह प्रतिभा असमय ही छीन ली। उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि विद्वत् वर्ग उनके अधूरे कार्योंको पूरा करे । इस महान् विभूतिको शत-शत नमन । सरस्वती के उज्ज्वल प्रकाशमान पुञ्ज • पं० गुलाबचन्द्र 'पुष्प' प्रतिष्ठाचार्य, टोकमगढ़
कौन विश्वास कर सकता था कि इस महान व्यक्तिका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली, प्रज्ञापारगामी होगा। चरितार्थ है "होनहार विरवानके होत चीकने पात" आपने अकथ परिश्रम, श्रद्धा, लगनके साथ अध्ययन कर न्यायाचार्यकी परीक्षा उत्तीर्णता प्राप्त की तथा न्यायशास्त्र एवं जैनदर्शनके अनेक ग्रन्थोंका सम्पादन किया जो श्लाघनीय है।
आप अनेक प्रतिभाके धनी, समाजके गौरव थे। संभवतया आप दीर्घायु पाते तो जैनदर्शनका आपसे बहत प्रसार प्रचार होता। फिर भी आपने समाजको बहत दिया और समाज आपका चिरऋणी रहेगा । आप सरस्वती माताके प्रकाशमान पुञ्ज एवं चलते फिरते सचेतन न्यायालय थे। हम विनम्र श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हैं।
सूरतसे कीरत बड़ी विना पंख उड़ जाय । सूरत तो जाती रहे पर कीरत कभी न जाय ।
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