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अकलंकदेव विरचित तत्त्वार्थवार्तिक का सम्पादन कार्य : एक समीक्षा
डॉ० फूलचन्द्र जैन प्रेमी अकलंक ग्रन्थत्रय : एक अनुचिन्तन
डॉ० कमलेशकुमार जैन विविध तीर्थकल्प एक समीक्षात्मक अध्ययन
डॉ० कस्तूरचन्द्र कासलीवाल जैनदर्शन : एक मौलिक चिन्तन
श्री निर्मल जैन
खण्ड : ४: विशिष्ट निबन्ध अकलंकग्रन्थत्रय और उसके कर्ता
(अकलंकग्रन्थत्रय की प्रस्तावना)
वी० नि० २४६५ न्यायविनिश्चय और उसका विवेचन
( न्यायविनिश्चयविवरण की प्रस्तावना)
वी० नि० २४७५ आचार्य प्रभाचन्द्र और उसका प्रमेयकमलमार्तण्ड ( प्रमेयकमलमार्तण्ड की प्रस्तावना)
वी० नि० २४६५ तत्त्वार्थवृत्ति और श्रुतसागरसूरि
( तत्त्वार्थवत्ति की प्रस्तावना) वी०नि० २४७५ १८५ जैनदर्शन और विश्वशान्ति
(जैन दर्शन) तत्त्वनिरूपण (जैन दर्शन )
२५८ षड्द्रव्य विवेचन (जैन दर्शन)
२८३ नय-विचार (जैन दर्शन)
३१२ अनेकान्तदर्शन की पृष्ठभूमि ( ज्ञानोदय नवम्बर १९५०)
३३३ अनेकान्तदर्शन का सांस्कृतिक आधार ( ज्ञानोदय जुलाई १९४९)
३३८ क्या स्याद्वाद अनिश्चयवाद है ? (ज्ञानोदय जुलाई १९५०)
३४४ जैन अध्यात्म ( अनेकान्त वर्ष ९ किरण ९)
३५३ निश्चयनय सर्वज्ञता और अध्यात्म भावना ( जैन सन्देश २७ मार्च १९५८)
३६० प्राचीन नवीन या समीचीन ? ( ज्ञानोदय सितम्बर १९४९)
३७२ जैन अनुसंधान का दृष्टिकोण
(श्रमण मई-जून १९५३) सर्वोदय की साधना
( ज्ञानोदय दिसम्बर १९४९) नियतिवादी सद्दालपुत्त (ज्ञानोदय अगस्त १९४९)
३७९ श्रमण प्रभाचन्द्र (ज्ञानोदय सितम्बर १९४९)
३८३ अमृतदर्शन
(ज्ञानोदय नवम्बर १९५०) जटिल मुनि
( ज्ञानोदय अक्टूबर १९४९) तीर्थकर महावीर
(श्रमण अप्रैल १९५७) खण्ड : ५ : जैनन्याय विद्या का विकास : जैनदार्शनिक साहित्य जैन न्यायविद्याका विकास
डॉ० दरबारोलाल कोठिया, न्यायाचार्य जैनदार्शनिक साहित्य
डॉ. महेन्द्र कुमार जैन न्यायाचार्य परिशिष्ट-स्मृति-ग्रन्थ प्रकाशन समिति के पदाधिकारी
सम्पादक मण्डलका परिचय
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