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व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं बन सका है । हमें संकोच है कि इच्छा रहते हुए भी इस ग्रन्थ को सर्वांगपूर्ण नहीं बना सके तथा अपरिहार्य कारणों से इसके प्रकाशन में भी कुछ विलम्ब हुआ है, इसके लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।
अन्त में-एक साधक और भगवती श्रृतदेवता के यशस्वी आराधक, महामनीषी न्यायाचार्य डॉ० (पं०) (स्व०) महेन्द्रकुमार जी का जीवन और कृतित्व भारतीय मेघा को स्फूर्त करे एवं प्रेरणा का स्रोत बने, इस भावना के साथ यह ग्रन्थ सादर लोकार्पित है ।
मध्यप्रदेश संस्कृत अकादमी, संस्कृति भवन, भोपाल (म०प्र०) वीर शासन जयन्ती वीर निर्वाण संवत् २५५२ दिनांक ३१-७-१९९६
विदुषां वशंवदः प्रधान सम्पादक डॉ० दरबारीलाल कोठिया तथा समस्त सम्पादक मण्डल की ओर से
JANA
(डॉ० भागचन्द्र जैन 'भागेन्दु')
सम्पादक
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