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वादिश्रीदेवसूरि सूत्रितस्य प्र णनयतत्त्वलोकस्य
श्रीरत्नप्रभाचार्यविरचिता लघ्वी टीका
रत्न कर वतरे
भा० ३
श्री राजशेखरसूरिकृत पञ्जिका पण्डितज्ञानचन्द्रकृत टिप्पणकाभ्यां समन्विता ।
गूर्जग्भाषानुवादकः
आचार्य श्री विजय नीतिसूरिशिष्यो मुनिश्रीमलय #1
संपादक :
पण्डित दलसुख म
भारतीय
जय संस्कृि
विद्यामंदिर :
प्रकाशक
लालभाई दलपतभाई भारतीय रुति ^ अमदावाद - ९
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