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________________ (75 ) पेन स्मरास्वनिकरै रपराजितेन सिद्धिर्वध्रुवमबोधिपराजितेन। संबद्धधर्मसुधियाकविराजमानः क्षिप्रं करोतु यशसा स विराजमानः ॥२॥ End.-तुष्टिं देशनया जनम्यमनसे येनस्थितंदित्सता सर्व वस्तु विजानता शमवता येनक्षता कृच्छ्रता । भव्यानंदकरण येनभहतांतत्त्व-प्रणीतिः कृता तापं हंतु स मे जिनः शुभधियां तातः सतामीशिनाः ॥२५॥ इति देवनंदकृतिरित्यंकगर्भषडारचक्रमिदं समाप्तम् ॥ श्रावकाचार. । देवसेन. Beg:- ॐनमः श्री पार्श्वनाथाय धरणेंद्रपद्मावतीसहिताय । णमकारेपिणुपंचगुरु दृरि दलिय दुहकम्मु । संखेवेपयडक्खरहि अक्खमि सावयधम्मु ॥ १ ॥ दुजणु सुहियउह उजगि सुयणु पयासिउजण । अमियउविसु वासरजमह जिम मरगउ कच्चेण ॥ २॥ जिह समिला सायर गयहि दुलहु जुव्वहरंतु । तिहजीवह भवजल गयह मणुवत्तणु संबंध ।। ३ ।। सुहुयारउ मणुयत्तणह तं सुह धम्मायत्तु । धम्मुविरेजिय तं करहि जंअरहंत इवुत्तु ॥ ४ ॥ अरहंतु वि दोसहरहिय जासुविकेवल णाणु । णाया मुणिय कालत्तयह वयणुवितस्स पमाणु ॥५॥ तं पायडु जिणवरवयणु गुरुउवएसइ होइ । अंधारइविणु दीवडइ अहवकि पिछइकोइ ॥ ६ ॥ संजमसील सऊचतउ जसुसूरिहि गुरुसोइ । दाहछेय कसघाय स्मु उत्तमु कंचणु होइ ॥७॥ मग्गइगुरुउवएसियह णरसिव पणिजति । तंविणु वग्घह वणयरह चोरहपिडि विपडंति ॥८॥
SR No.011132
Book TitleCatalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts In the Central Provinces and Berar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherCentral Provins and Berar
Publication Year
Total Pages887
LanguageEnglish, Sanskrit
ClassificationCatalogue
File Size27 MB
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