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तं तुर्हपिचडाव किव्वे | दिहि होउणणे आसण्णभव्वे || बुद्धी णु सुरगुरुणमति । परणष्णहो णउ वइरिय जिणंति ॥ पहुत्तिएणु व समाणुदि । परणष्णुणवाणरु णरु विसि || गांगेउ उजयितुट्ठि | पर णष्णुणवइरिहु देइपुट्ठि || धम्मेण जुहिलि धम्मर | पर णण्णु पवासदुहेण चत्तु ॥ चारण कण्णु जण दिण्ण चाउ । परणण्णु ण वंधुहु देइ घाउ || कंती मोहरु छणससंकु । पुरणष्णुहो उ दीसह कलंकु || गरुयतें महि सुविसुद्धचरिउ । पर णण्णु ण किडि दाढाइ घरिउ || सुरितं मेरुणमति जो | पर णण्णु पुरियु पच्छमु ण हाइ ॥ सायरु व गहीरु कया रहि । परणष्णु ण मंथिउ सुस्वरेहिं || ॥ घत्ता || जो हउ वणिउ चरकइहिं । भाविं णियमणं भावहि || तो हो र उहु । सुललियकव्वे चडावहि ॥ ४ ॥ इल्लभट्टारु वय । तं आण्णविणवकमळवणु । पडिजंपइवियसिरि पुप्फयंतु । पडिवज्जमिणणुनि गुण महंतु । घणु पुणु महुं तणु व तणाउ कट्टु । धम्मेण विद्धु मुवि स | ह कह कव्व दिंतु पिसणु । वण्णंतु सुयण विष्फुरिय चयणु दुज्जणसज्ज हो साउ हु । सिहि उह उ सीयन्नु होइ मेहु । भोणिणि ror कुलकमलसूर । सुरसिहरिधीर पडिवण्णमूर । जिण भणिउ अणतात गयणु । तहो मज्झे परिट्टिउ तिविहु भुअणु । पहिलउ मल्लय संकासुदिट्टु । वीउ कुलिसोवमु रिसिद्धिं सिछु । तय इंद सणहु कहति । अरहंत अरु भणु किं रहति ।
|| धता || तइलोकु कमलरुह हरि हरहिं ण धरिउ ण किउ ण णिट्ठियउ । तहिं बहु दीवोवहि मंडियउ । मज्झिउ भुअणु परिट्टियउ || ५ ॥
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इय णायकुमारचारुचरिए णण्णणामकिए महाकइपुप्फयंतविरइए महा कव्वे जयंघरविवाहकल्लाणवण्णणो णाम पढभो परिच्छेओ सम्मत्तो ॥ १ ॥
End.--गोत्तमगणहरए बंसिउ । सूरिपरंपराए उवइउ |
णा कुमारचरितु पयासि । इयसिरिपंचमि फलु मइ भासिउ ॥ १ ॥ सोणंद जो पढ पढाइ । सोणंदर जो लिहइ लिहावइ ॥ सोणंदड़ नोविवार विदावइ । सोणंदउ जो भावें भाव ॥ २ ॥
• णंदउ सम्म सासणु सम्मइ । णंदउ पयसुहु णंदउ णरवइ ॥ चिंतिउ चिंतिउ बरिसउ पाउसु । णंदउ णण्णु होउ दीहाउसु ॥ ३ ॥