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॥ पत्ता ॥ अथिरेण असारे जीविएण । किं अप्पउ सम्मोहहिं । तुहु सिद्धहे वाणोधणुअहे । णवरसीरु ण दोहहिं ॥ १० ॥ तं णिसुणेप्पिणु दर विहसते । मित्तमुहारविंदु जोयते । कसण सरीरें सुद्ध कुरुवें । मुद्धाएविगब्भसंभूवें ॥ ११ ॥ कासवगोतें केसवपुतं । कइकुलतिलएं सम्सयाणलएं। उत्तमसत्तें जिणपयभत्तें ..... .... ॥ १२ ॥ पुप्फयंतकइणा पडिउत्तउ । भो भो भरह णिसुणि णित्तक्खउ । कलिमलमलिणु कालु विवररेउ । णिग्घिणु णिग्गुणु दुग्णयगारउ ॥ १३ ॥ जो जो दीसइ सो सो दुजणु । णिप्फलु णीरसु णं सुक्कउ वणु । राउ राउ णं संझहें केरउ । अत्थे पयहइ मणु ण महारउ ॥ १४ ॥ उव्वेउ जे वित्थरइ णिरारिउ । एक वि पउ विरएवउ भारिउ ।
॥ पत्ता॥ दोसेण होउ तं णउ भणमि, चोज अवरुमणे थक्कउ । जगुएउ चडाविउ चाउ जिह तिह गुणेण सहवंकउ ॥ १५ ॥ जयवि तोवि जिणगुणगणु वण्णमि । किं पई अब्भस्थिउ अवगण्णमि । चाय भोय भाउग्गमसत्तिए । पई अणवस्य रइय कइमित्तिए ॥१६॥ राउ सालिवाहणु वि विसेसिउ, । पई णियजसु भुवणयले पयासिउ। कालिदासु जे खं| णीयउ । तहो सिरिहरिसहो तुहं जगि बीयउ ॥१७॥ तुहूं कइकामधेणु कइवच्छलु । तुहं कहकप्परुक्खु ढोइयफल । तुहुं कइसुरवरकीलागिरि वरु । तुहूं कइरायहंसमाणससरु ॥ १८ ॥ मंदु मयालसु मयणुम्मत्तउ । लोउ असेसु वि तिट्ठए भुत्तउ । केण वि कव्वपिसल्लउ मण्णिओ। केण वि थट्ट भणेवि अवगाण्णउ ॥१॥ णिञ्चमेव सब्भाव पउंजिउं । पई पुणु विणउ करेवि हउं रंजिउं ।
॥ पत्ता॥ धणु तणुसमु मझुण तं गहणु णेहु णिकारिमु इच्छमि। देवीसुअ सुदणिहि तेण हउं णिलए तुहारए अच्छमि ॥ २० ॥ महु समयागमे जायहें ललियहें । वोल्लइ कोइल अंबयकलियहें। काणणे चचरीउ रुणुरुंटइ । कीरु किण्ण हरिसेण विसहइ ॥ २१ ॥ मझ कइत्तणु जिणपयभत्तिहें । पसरह णउ णियजीवियवित्तिहें । विमलगुणाहरणंकियदेहउ । एह भरह णिमुणइ पई जेहउं ॥ २२ ॥