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सामाजिक उपेक्षा व असहयोग के बावजूद जैन पत्रकारिता की मशाल को मजबूती से थामे हुए हैं। यह मशाल इसी प्रकार जलती रहनी चाहिए, जब तक कि ऐसे कुछ लोग सामने नही आयें जो पत्रकारिता के महत्व को ठीक प्रकार से समझते हो । जैन पत्रकारो को चाहिए कि पत्रकारिता की उपयोगिता समझने वाले लोगो को खोजें और उन्हे मागे लाएँ।
सम्पादक-दैनिक यगलीडर मौर दैनिफ जैन समाज 2073, घीवालो का रास्ता, जयपुर (राजस्थान)
जैसे तुम्हारे अपने लिए दुख प्रिय नहीं है, इसी प्रकार दूसरे सब जीवो के लिए जानकर उचितरूप से सब जीवो से स्नेह करो तथा अपने से तुलना के द्वारा उनके प्रति सहानुभूति रक्खो।
समणसुत्त, 150
जिस प्रकार कछुपा अपने अंगो को अपने शरीर में समेट लेता है, इसी प्रकार से मेधावी अध्यात्म के द्वारा पापो को समेट लेता है, अर्थात् नष्ट कर देता है।
समणसुस, 137
तुम स्वयं से स्वयं के लिए जो कुछ चाहते हो और तुम स्वय से स्वय के लिए जो कुछ नहीं चाहते हो, क्रमश उसको तुम दूसरे के लिए चाहो और न चाहो, इतना ही जिन शासन है।
समणसुत्त, 24
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