________________
जैन आगम साहित्य
साध्वी फनकश्री
जैन साहित्य प्रागम और प्रागमेतर-इन दो भागोमे विभक्त है। जैन वादगमय का प्राचीन भाग पागम कहलाता है।
प्रागम माहित्य चार विभागो मे विभक्त है-1 अग 2 उपाग 3 छेद और 4 मूल । मागम-साहित्य का यह वर्गीकरण प्राचीन नही है। इसका प्राचीन वर्गीकरण प्रग-प्रविष्ट और प्रग-बाप के रूप में उपलब्ध होता है।
अग-प्रविष्ट साहित्य महावीर के प्रमुग्म-शिष्य गणधरो द्वारा रचित होनेके कारण सर्वाधिक मौलिक और प्रामाणिक माना जाता है।
प्रहन अपने अनन्त ज्ञान और अनन्त दर्शनके प्रानोकमे विश्व-दर्शन कर मन्य को उभासित पारते हैं और गणधर शामा-हिन के लिए उने मूत्र स्प मे गूथते हैं। यह विशाल ग्रन्थराशि सूप या मागमके नामसे पूकारी जानी है।