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________________ 97 इसके पश्चात् अजितनाथसं लेकर महावीर तक तेईस तीर्थकर अपने अपने समयमें अज्ञानी जीवोंका मोह अन्धकार नाश करते रहे." नेपालचंद्रराय अधिष्ठाता ब्रह्मचर्याश्रम शांतिनिकेतन बोलपुखाला कह छे क-"मुझको जैन तीर्थकरीकी शिक्षापर । अतिशय भक्ति है" इत्यादि--... X xx xx xx X एम. ए. पांडे थियोसोफिकल सोसायटी बनारस लखे छ के-." मुझे जैनसिद्धांतका बहुत शौख है, क्योंकि कर्मसिद्धांतका इसमें सूक्ष्मतास वर्णन किया गया है" xx xx xx xx xx अम्बजाक्ष सरकार एम. ए. बी. एल. लिखित "जैनदर्शन जैनधर्म" जनहितैषी भाग १२ अंक ९-१० मां छपावेल छे तेमा लख्यु छ के १ “यह अच्छी तरह प्रमाणिक हो चुका है कि जैनधर्म बौद्धधर्मकी शाखा नहीं है. उन्होंने केवल प्राचीन धर्मका प्रचार किया है. २ जैनदर्शनमें जीवतत्त्वकी जैसी विस्तृत आलोचना ह वसी और किसीभी दर्शनमें नहीं है इत्यादि.'' xx रा. रा. वासुदेव गोविन्द आपटे वी. ए. इन्दोर निवासी एक वखतना व्याख्यामां लखे छे के
SR No.011046
Book TitleHistorical Facts About Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Lajpatrai
PublisherJain Associations of India Mumbai
Publication Year
Total Pages145
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size8 MB
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