SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ XXIV पृष्ठम् पंक्तिः अशुद्धम् ९ योगियुक्तः शुद्धम् योगी युक्तः २० योगिलीनः योगी लीनः ,, २१-२४ १८७-८८ श्लोको एकैव श्लोक इति पठनीयौ ,, २३ पठतिच मयः शृणोति पठति चायं यः शृणोति समाप्ति लेखः - योगमार्तण्डं समाप्तम् ॥ - (योगमार्तण्डः समाप्तः ॥) ५. गोरख उपनिषद ॥ ९ निशक्ति निजशक्ति ३ वैश्व वैश्य ६. मत्स्येन्द्रजी का पद ॥ ४ बाल्हारे टेक वाल्हारे।।टेक।। ६ बाल्हारे १ वाल्हारे ॥ १॥ . ७ बाल्हारे २ वाल्हारे ॥२॥ ८ बाल्हारे ३ वाल्हारे ।। ३ ॥ १० बाल्हारे ४ वाल्हारे ।। ४ ।। ११ बाल्हारे ५ वाल्हारे ॥ ५ ॥ १६ चकोर १ चकोर ॥ १ ॥ १८ आय २ आय ॥ २ ॥ २० नाथ । २ ॥ नाथ ।। ३ ।। ८. चिरपटजी की सबदी । १७ प्रमांनंद। प्रेमानंद। १ गिरिकंद लिवाम गिरिकंदनिवास ७ चौर वाजारी चौर बाजारी ८ बेस्यां नाडि बेस्या नारी ९. गोपीचंदजी की सबदी॥ १० बारा सैकन्या बारासै कन्या १०. जलंदरी पावजी की सबदी॥ २ जहां प्रम जहां प्रेम ३ प्रमपद प्रेमपद
SR No.011032
Book TitleSiddha Siddhanta Paddhati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyani Mallik
PublisherPoona Oriental Book House Poona
Publication Year1954
Total Pages166
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy