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विश्व की प्रवृत्ति करतु है। जोग मत अष्टाङ्ग जोग मुख्य कर षडंग जोग अकुल कहने सो अवधृत जोग जोग मत सौं साधन अष्टाङ्ग जोग । आदि ब्राह्मणा ब्राह्मण क्षत्री वैश्व शूद्रच्यार वर्ण करि पृथ्वी भरी है तिनम ब्राह्मण वर्ण मुख्य है । ब्राह्मण किसको कहिये ब्रह्मकू सगुण ब्रह्म द्वारे निर्गुण ब्रह्म करिजानै सो ब्राह्मण ए जोगीश्वर सगुणनाथ गम्य पदार्थ। आनन्द विग्रहात्मनाथ उपदेष्टा उपास्य रूप अत्याश्रमी गुरु अवधूत जोग साधन मुमुक्षु अधिकारी बन्ध मोक्ष रहित कोइक अनिर्वचनीय मोक्ष मोक्ष ऐसो आ ग्रन्थ मै निरूपण है सो जो कोई पढ़े पढ़ावै जाको अनन्त अचिन्त्य फल है।