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। रतन परीक्षक !
॥ जहर मोरा ॥
यह हिमालय देश कशमीर काबुल और तिब्बत में पैदा होता है. इसका रंग थोडा सफेद पन लिये सब्ज होता है गुंण इस में यह है कि यह विष दोष दूर करता है
॥ खात ॥
इसका रंग लाल होता है रात्रि में बुखार आवे जिसके गले में बांधने से आराम होता है
॥ सोहन कक्खी ॥
यह पत्थर धातु के समान चमक दार होता है तोल में भारी होता हैं. ऊपर स्ववर्ण या चांदी दिखाई देती है. सजल पहाडॉ बीच मिलती है काबुल और तिब्बत में भी पाई जाती है. त्रिकूटाचल पर्वत की कंदरा के बीच जो जल बहता है उस जल में अक्सर मिलती हैं इसकी दो किस्में हैं एक संग सरूत, दूसरा संग नर्म वजन में सिंगरफ या हरताल के सद्रश होती है
|| हज़ारत यहूद ॥
यह सफेद मट्टी के माफिक होता है और पेशाब को बीमारी में फायदा करता है यह हिमालय देश के पहाड़ों में मिल ता है
॥ सुरमा
यह चार वर्णका होता है खेत लाल गुलाबी और काला. काबुल आदि पहाड़ों में वा जंबू देश त्रिकूटाचल पर्वत के नीचे रिआसो गढ के पास पैदा होता है यह सबसे उत्तम अंजन है
॥ पारस ॥
कोले लोहे के साथ लगाने से सोना बनता है परंतु यह ना पैंद है
|| टपस ||
इसका रंग गुलाबी तौल भारा पैदा विलायत या सैलान