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। रतन परीक्षक ! ॥ विराट देस का खहुरा जानो। रंग श्वेत जो भेद पछांनो ।। ॥ रुकमन जात सिप्य इक होई। जैफल सम मुक्ता लख सोई॥ ॥ सुंदर गोल चमक मन भावे । धारन करसभदोष नसावे ॥ ॥ चारो वर्ण रंग अनुसार।। पांच तत्व का भेद सम्हार॥ ॥ पृथिवी अंश अधिकता पावे । भारी तोल साफ मन भावे ॥ ॥ तेज तत्व जादा जब होई । चमकतेज हलका अति सोई॥ ॥ वात अंश अति कद्द दिखावे । टन का भय शीघ जनावै ॥ ॥ आकास अंसते हलका होई । चमकस्यर्श में सुंदर सोई॥ ti जलका अंश अधिक लव पावे। निर्मल साफ चमक मन भावे ॥ श्वेत रंग जस दायक जानो। पीला अति धन दायक मांनो ॥ मधु वर्ण वृद्धी प्रघटाव । नील वर्ण सौभाग्य दिग्वावे ।। || चार वर्ण एसें शुभ होई । आठों गुण आगे सुन सोई ॥ ॥ सुतारेवत चमकाग मानो । सुतारव नाम मोतो शुभ जांनो । सुंदर गोल सु वृत कहावे। दोष रहित स्वछत्व सुहावे ॥ ॥ निर्मल मल रहिन वखाना । भारी तोल घनत्व पछांना ॥ ॥ गंभीर चंद्रवत आभा पावे। सोनिग्यत्व नाम मन भावे ॥ ॥ मनोहर सो सछोय वरखांना। संदर साफ स्फटि तत्व प्रमांना ॥ जा प्रकार आठो शुजांन । धारन कर सुख संतति मान । ॥ श्वेन चमक छीवत भासे । किर्ण काच क्तकिर्ण प्रकास ॥ ॥ परीक वेर सुंदरता पावे । सो निर्दोष दोष हर गावे ॥
॥दोहरा॥ ॥ दस दोष हेक हैं जाहु में। चारों अति वभवान ॥ ॥ मध्यम छेद्रबिचाररिऐ। ऐसे भेद पछॉन ।
॥चौपई ॥ ॥ सिपी को टुगडा दरसावे । शक्ति लग दुख कारक गावे ।। ॥ मत्स नेल क्त चिन्ह जो होई। मीनाक्ष नाम सतत हरसोई॥