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________________ । स्तन परीक्षक। पांच तत्व जामें सम होई । आगे भेद सुनो अब सोई॥ पृथिवी अंस अधिक जब जांनो। भारी मोटा गूथिकमानो ॥ जल अंस अधिकता पावे । हीरा निर्मल सुंदर भावे ॥ जब आकाश अंस अति होई। तीक्षणाग निर्मल कर सोई॥ ईद्र धनुषवत रंग दिखावे । सूर्य तेज विजलीवत भावे ॥ जामें तेज अंश अति जांनो । लाली निर्मल सुंदर मांनो॥ वात अंशतें सूक्षम होई । तीक्षणागू निर्मल कहु सोई॥ स्वरा चमकदार अति जानो। पांच तत्व का भेद पछांनी ॥ अति उत्तम हीरा सो कहिए। निर्मल शुद्ध श्वेतता लहिऐ ॥ आट कोण अथवा छे होई। जल ऊपर तरै परीक्षा सोई॥ अंग्रेरी वीच चमकदरसावे । सी अति उत्तम गन्थवतावे॥ करें परीक्षा धारै कोई। नौर अग्निभय विषहर सोई॥ भूतादिक दुर्भिक्ष निवारै । बहु विध रक्षा संपत धारै ॥ आगे भेद दोष सुन सोई । भिन्न भिन्न सो वर्णन होई॥ छिटा दोष जाहु में जानो। चार भेद का सोई पछांनो ॥ लाली गोल चिन्ह जब जाको। विंदू दोष नाम है ताको ॥ एसै देष आप लख लहिये। धन अरु धान्य दूरकर कहिये । मध्य पुलार सुतारा जैसें । आवत दोष नामा कहु तेसै ॥ नाना वित्र भयदायफ सोई। भूमत रहै स्थिरता सब खोई॥ लोली गोल अधिक जो होई । परिवर्क नाम रोग कर सोई॥ जौवत लाल यवा कृती कहिए। अती रोग हानी कर लहिए ॥ चीर दोष दहने सुखदाई । वामें निंद गूथ मत गाई ॥ धन आयू हर पीला होई। श्वेत शुद्ध सुख रायक सोई।। चीर दोष एसा लख पावे । विन टूटे टूटा दर सावे ॥ त्रास नाम कर कहिए मगेई । शस्त्र अग्नि भय दायक होई॥ चोर दोष फंगवत जाने । छेदा नाम ताहु की मांने ॥ वाहन बंधु नाश कर सोई। कलहा मित्र श कर होई ॥
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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