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तीर्थ श्री चंपापुरी |
यह प्राचीन जैन तीर्थ ई, आई रेलवेके लुप बेनके जागलपुर के पास नाथनगर टेसन से मिला हुवा है। यहां चंपापुरी - चंपानगर-चंपा - हाल मे जिस्को सम्पनालाजी कहते है १२ मां तीर्थङ्कर श्री वासुपूज्य स्वामीके पञ्चकख्याणक नये हैं। यहां श्वताम्बरी दिगम्बरी दोनो सम्प्रदाय के जुड़े १ मन्दिर बर्तमान हैं। राजगृहके श्रेणिक राजाका बेटा कोशिक जिस्को अजातशत्रु वा अशांकचंद्र जी कहते हैं राजगृहसे अपनी राजधानी उठाकर यहां चंपामें लायाचा । सुजा सतीजी इसी नगरकी रहनेवाली थी । तीर्थङ्कर महावीर स्वामीने यहां ३ चौमासे कियेथे और उन्के आनन्दादि मुख्य भावकीमें कामदेव श्रावक यहांका रहनेवाला था और जैनागमके प्रसिद्ध दश बेकालिक सूत्रजी श्री शय्यंजव सूरी महाराजने इसी चंपापुरी में रचा था। बसुपूज्य राजा जया रानी के पुत्र श्री वासुपूज्यस्वामीका चवन जन्म फागुण दि १४, दिक्षा- फाल्गुण सुदि १५, केवल ज्ञान- माघ सुदि २ और मोक्ष-धाबाद सुदि १४ यह पांच कल्याणक इसी नगरमें जयथे इस कारण यह पवित्र क्षेत्र है ।
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पाषाणोंके बिंव और चरणोंपर ।
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सं १६६० | श्री धर्मनाथ बिंवं का० सा० हीरानंदन । प्र० श्री जिनचंद्र सूरिजिः ॥
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श्री तपा गछे श्री बीरविजय सुरिजिः प्रतिष्ठितं ।
सं २०२० वर्ष बै० सु० ११ श्री संडन ।
* यह मुशिदाबाद के प्रसिद्ध जगत्सठके पूर्वज साह हारानन्दजी है, असा सम्भव है ।
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