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पाल सुहडपाल द्वितीय भार्या जाल्हण देवि इत्यादि कुटंब सहितेन भार्या नायक देवि यो देव श्री पार्श्वनाथ चैत्ये पंचमी बलि निमित्त निश्रा निक्ष ेप हहमेव नरपतिना दत्तं तव भाटकेन देव श्री पार्श्वनाथ गोष्ठिकैः प्रति वर्षः आचंद्रार्कं पंचमी वलिः कार्या ॥ शुभं भवतु ॥ छ ॥
महावीरजी का मन्दिर ।
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संवत् १६८९ वर्षे प्रथम चैत्र बाद ५ गुरौ अह श्री राठोड़ वंशे श्री सूरि सिंह पह श्री महाराजे श्री गजसिंह जी विजयि राज्ये मुहणोत्र गोत्रे वृद्ध उसवाल ज्ञातीय सा० जेसा भार्या जयवंत दे पुत्र सा० जयराज भार्या मनोरथदे पुत्र सा० सादा सुभा सामल सुरताण प्रमुख परिवार पुण्यार्थं श्री स्वर्ण गिरि गढ़ादुर्गं परिस्थित श्री मत कुमार विहारे श्री मती महावीर चैत्ये सा० जैसा भार्या जयवंत पुत्र सा० जयमल जी वृद्ध भार्या सरूपदे पुत्र सा० नङ्गणसी सुन्दरदास आस करण लघुभार्या सोहागदे पुत्र सा० जगमालदि पुत्र पोत्रादि श्रेयसे सा० जयमल जी नाम्ना श्री महाबोर विवं प्रतिष्ठा महोत्सव पूर्व कारित प्रतिष्ठितं च श्रोतपागच्छ पक्ष सुविहिताचारकारक शिथिलाare area साधु क्रियोद्धार कारक श्री ६ आनंद विमल सूरि पह प्रभाकर श्री विजय दान सूरि पट्ट शृङ्गार हार महा म्लेच्छाधिपति पातशाह श्री अकवर प्रतिबोधक सद्दत्त जगद्गुरू विरुद धारक श्री शत्रुंजयादि तीर्थ जीजीयादि कर मोचक षण्मास अमारि प्रवर्धक भट्टारक श्री ६ हीर विजय सूरि पट्ट मुकुटायमान भ० श्री ६ विजय सेन सूरि पह े संप्रति विजयमान राज्य सुविहित शिरः शेखरायमाण महारक श्री ६ विजय देव सूरीश्वराणामादेशेन महोपाध्याय श्री विद्यासागर गणि शिष्य पण्डित श्री सहज सागर गणि शिष्य पं० जय सागर गणिना श्रेयसे कारकस्य ॥