________________
( २३३ )
(895)
सं० १३३६ वर्षे श्रष्टको नाग श्र । श्र अर सोहेन सय पक्ष दस द्र० उमयं द्र ३६ समीपाटी मढपिका व्याष्टपृष माण पंच कुलेन वर्ष वर्ष प्रति आचंद्रार्क - यावत् दातव्याः । शुभमस्तु
(896)
नमो बीतरागाय संवत् १३४६ वर्षे श्रावण वदि ३ शुक्र दिने खहेड़ा ग्रामे महादपाल उभारावा कर्म सीइपा ----1
माता के मंदिर के स्तम्भ पर ।
( 897 )
॥ ॐ ॥ नमो श्रोत रागाय ॥ संवत् १३४५ वर्षे प्रथम भाद्रमा बदि शुक्र दिने अह श्री नडूल मंडले महाराज कुल श्री सम्पत सिंह देव राज्येव तन्नियुक्त श्रा ॥ श्री करण महं ललनादि पंचकुल प्रच्छति भूमि अक्षराणि पञ्चा | सभी तल पदित्य मंडपिकायां साधू • हेमाकेन भाति हाथीउड़ी ग्रामें श्री महाघोर देत्र नेवार्थ वर्षे प्रति वर्षा
०
* द्र
२४ चरबबिसि मा० प्रदत्ता शुभं भवतु । बहुभिर्वसुधा भुक्ता राजभि सगरादपि । जस्य जस्य जदा भूमी तस्य तस्य वदा फलं ॥ कपूर विजय लिपतं ॥
खण्डहर में मिला हुआ पाषाण पर ।
( 898 )
---
॥ विरके - पजे रक्षा संस्था जवस्तवः । परिशास्तु ना - परार्थ ख्यापना जिनाः ॥ १ ॥ ते वः पातु जिना धिनाम समये यत्पाद पद्मोन्मुख में खा संख्य मयूख