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________________ ( २०२) सहितेन स पुण्यार्थ श्री संभवनाथ विवं कारित प्रतिष्ठितं श्री खरतर गच्छे पो जिन भद्र सूरि पहा जिन चन्द्र सूरिभिः ॥ (822) सं० १५३१ वर्षे फागुन शु०२ गरी ऊ० चूदालिया गोत्रच ऊ. सा. सिवा भा० सहागदे पुत्र सा. देवाकेन भार्या दाडिमदे पुत्र आसा भार्या जमादे इत्यादि कुटुय युतेन स्व श्रेयसे श्री संभवनाथ विवं का. प्रति श्री सूरिभिः श्री वीरमपुरे। ( 823 ) संवत् १५३६ वर्षे फाल्गुन सुदि ३ रवी फोफलिया गोत्रं सा० मूला पुत्र देवदत्त भार्या साह पुत्र सा० वरु श्रावकेण भार्या नामल दे परिवार यतेन श्री आदिनाथ विवं श्रेयसे कारितं श्री खरतर गच्छे श्री जिन भद्र सूरि प? श्री जिनचन्द्र सूरि श्री जिन समुद्र सूरि प्रतिष्ठितं । 824 ) संवत् १५५५ वर्षे जेष्ठ दि १ शुक्रे उकेस न्यातीय काकरेचा गात्रे साह जारमल पुः ऊदा चांपा ऊदा मा० रूपी प. वाला खतावाला भावहरङ्गदे सकट व अ० उदा पूर्व प. श्री चंद्र प्रत मूलनायक चतर्विशति जिनानां विंवं कारितं प्रतिष्ठित श्री संडेर गच्छे श्रो जसो भद्र सूरि सन्ताने ही शांति सूरिमिः । (825) सम्वत् १६८६ वर्षे वैशाख सुदि ८ शनी महाराजाधिराज महाराज श्री गज सिंह विजय माम राज्ये युवराज कुमार श्री अमर सिंह राजिते तत्प्रसाद पात्र चाहमान वशावतन्स श्री जसवन्त सुत भा जगन्नाथ शासने श्री पाली नगर बास्तव्य श्री श्री श्री
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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