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________________ ( १७०) स्व यसे श्री राणपुर मंडन श्री चतुर्मुख प्रासाद देव कुलिका कारिता श्री चतुर्मुस प्रासादे श्री उदय सागर सूरि श्री -ष्टि सागर सूरिणामुपदेशेन । (712) संवत १५८-- वर्षे माघ सुदि १० उकेश वंशे छाजहड़ गोत्रे सा. साध पुत्र सा. उमला मातृ पुण्यापं श्री धर्मनाथ का• प्र० श्री जिन सा--- सूरिमिः। पूर्व सभामण्डपके खंभे पर। (713) ॥ॐ॥सं १६११ वर्षे वैशाख शुदि १३ दिने पात साह श्री अकबर प्रदत्त जगद्गुरु विरुद धारक परम गुरु तपा गच्छाधिराज प्रद्यरक श्री हीर विजय सुरीणामुपदेशेन श्री राणपुर नगरे चतुर्मुख श्री धरण विहार श्री महम्मदाबाद नगर निकट वयुसमापुर वास्तव्य प्राग्वाट ज्ञासीय सा. रायमल भार्या वरजू भार्या सुरूपदे सरपुत्र खेता सा. नायकाभ्यां भावरधादि कुटुंब युताभ्यां पूर्व दिग् प्रतोल्या मेघनादाभिधो मंडपः कारितः स्व अयोर्थे ॥ सूत्रधार समल मंडप रिवनाद विरचितः ॥ दूसरे आंगनमें । ( 714) ॐ ॥ संवत १६४७ वर्षे फाल्गुन मासे शुक्लपक्षा पंचम्यां तिथी गुरुवासरे श्री तपा गरछाधिराज पाससाह श्री अकबरदत्त जगद् गुरु विरुद धारक महारिक श्री श्री श्री १ हीर विजय सूरीणामुपदेशेन चतुर्मुख श्री धरण विहारे प्रारबाट ज्ञातीय सुश्रावक सा.
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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