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. ( १९४) म० श्री विमलेंद्र कीर्ति गुरूपदेशात् श्री शांतिनाथ हूंवड़ ज्ञातीय सा. नादू मा० अंमल सु.सा. काहा मा० समति सु० लषराज भा० अजो धा० जेसंग भा. जसमादे भा. गांगेज मा. पदमा सु. श्री राजसचवीर नित्य प्रणमंसि श्रीः ।
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संवत १६२८ वर्षे वै. बु० १० बुधे श्रीमालज्ञातीय महषेता मा हासी सुत मूलजी मा० अहिवदे केम ओ वासपूज्य विवं कारापितं श्री तपा ओ होर विजय सूरिभिः प्रतिहितं शुभं भवतु ॥ छ॥
मोती साह टोंक।
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सं० १५०३ ज्येष्ठ शु. ६ प्राग्वाट स० कापा भार्या हासलदे पुत्र कामणेन भार्या नागलदे पुत्र मुकुंद नारद भ्रातृ धना श्रेयसे जीवादि कुटुम्ब युतेन निज पितृ श्रेयसे श्री नमिनाथविवं क. प्र. तपा गच्छे श्री जयचन्द्र सूरि गुरुभिः।
मूल टोंक ।*
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सं० १८९३ ना मिती ज्येष्ठ वदी १२ गुरुवासरे प्रोमकसुदाबाद वास्तव्य ओसवाल जातीय वृद्ध शाषायां नाहार गोत्रीय सा. खड्ग सिंहजी तत् पुत्र सा उत्तम चंदजी तव मार्या वीवी मया कुवर श्री सिद्धाधलीपरि श्री ऋषभदेवजी परी मागाद मध्ये
श्री भादिश्वर भगवानके मूल मंदिरके ऊपर संग्रह कर्ताकी वृद्ध पितामही साहिवाकी प्रतिष्ठित यह आलेख का लेख है। महान तीर्थक और ख प्रशस्ति मादि पश्चात प्रकाशित होगा।