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( 399 ) सं० १५३३ वै० शु० १२ गुरी प्राग्वाट ज्ञा० सा. तालहा मा० राजु पु० सा. लिमपाक तत् प्रा० रन रुटु नाता सा. किवालय मेघ आदि सपरिवारेन श्री कुंथुनाथ विंवं का. प्रति० श्री तपगच्छाचार्य श्री लक्ष्मीसागर सूरिभिःभी वसंतनगरे।
जैपुरके वेपारियोंके पासकी मूर्तियों पर ।
.. ( 400 ) सं० १९०५ वैशाष सु०३ श्री उएस गच्छ तातहड़ गोत्र प्र० साः-ज्ज मा० ब्रह्मादे वही पुत्र संघ० सा० चाडूकेन सकुटुंवेन श्री रिषभ विवं का० प्र० श्री ककुदा चार्य संताने श्री कक्क सूरिभिः॥
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सं० १५१२ वर्षे वै. शु. ५ ओसवाल गोत्रे सा० महणा भा० महणदे सुत सा० सीपा केन भा० सूलेसरि प्रमुख कुटुम्बयुतेन श्री आदिनाथ विवं का० श्री कक्क सूरिभिः ॥
अजमेर राजपुताना म्युजिउमके वारलि गांवसे प्राप्त पत्थर पर। *
( 402 ) ---विरय भगवत (त)-- 4 -- चतुरासि तिव (स) -- ( का ) ये सालिमालिनि -- रनि विठमाझिमिके--
मी महावीर स्वामिका नाम और ४ वर्ष मध्यनिकामगरका जो कि पित्तोकोस उत्तर था उनका है और यह ३।४ पूर्वधतादि का बहोत प्राचीन व ऐसा विद्वानांका विचार है।