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( 345 ) सागरांकवसुचंद्र वर्षे (१८८७) नेत्रषण गणधरायुते राके (१७९२) फाल्गुना तिमदले सुनागके (५) भार्गवे सितपटौषपालके वाणारस्यां श्रीमद्भागवत्सासफणालंकृत श्री पार्श्वनाथ जिनमूर्तिः कारापितं श्रे० उदय चंन्द्र धर्म पत्नी महाकुवराख्यया मूलचंद्र सुत युतया हत्खरतर गणेश श्री जिन हर्ष गणि पदालंकृत श्री जिन महेंद्र सूरिणा प्रतिष्ठिता।
(346) सं० १०० वर्षे.. श्री गोडी पार्श्वनाथ विका० ---।
( 347 ) सं०१९१० शाके १७७५माघ शुक्ल द्वितीयायां श्री पार्श्वविवं प्रतिष्ठित वृहत्खरतरगच्छे---।
टोंकपरके चरणों पर।
( 348 ) ॥ संवत् १८२५ वर्षे माघ सुदि ३ गुरो विरानी गोत्रीय सा० खुसाल चन्देन श्रो अजितनाथ पादुका कारापिता श्री मत्तपा गच्छे ।
(349) ॥ संबत् १९३९ । माघे । शु। १० चंद्र। श्री अजितनाथ जिनेन्द्रस्य चरण पादुका जीणोद्वार सपा श्री संघेन कारापिता। मलधार पूर्णिमा श्री मद्विजय गच्छे । महारक। श्री जिन शांतिसागर सूरिमि प्रतिष्ठितं च ॥
( 350 ) ॥ संवत् १८२५ वर्षे माघ सुदि ३ गुरौ विरानी गोत्रीय सा० खुसालचंदेन श्री संभव पादुका कारापिता श्री मचपा गच्छे ।