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________________ (20) सेठ सुदर्शनजी का मन्दिर । (331) चरण पर। अव्ययपदाप्तस्य श्री श्रेष्ठि सुदर्शनस्य इमे पादुके संप्रतिष्ठिते सकल संघेन गुमसंवत्सरे। दादा वाड़ी। ( 332) संवत १६८२ मार्गशिर्ष शुदि ५ सा० कटार मल तस्यात्मज साकल्याण मल पुत्र चिंतामणि श्रीजिन कुशल सूरि० । वेगमपुर वास्तव्य । ( 333 ) संवत १९९६ वर्षे पूर्व देशे पाइलिपुर नगरे वेगमपुर -- ( 334 तपागच्छ म० श्री ५ श्री हीर विजय सूरि जगत पादुकेभ्यो नमः पं० चंद्र कुशल गणि नित्यं प्रणमतिश्च । सं. १७६२ वर्षे कार्तिक शुक्ल : सा. वेणीदास पुत्र भीमसेन पुत्र मयाचन्द वीराणी गोत्रे प्रतिष्ठितं- वीराणी मयाचन्द प्र. क. पाडलोपुरे। ( 335 ) साध्वीजी के चरण पर। ___ सं० १८४४ वर्षे शाके १७०६ प्रवर्शमाने मिति माघ मासे शुक्ल पक्ष सूरीशाषायां साध्वी महरा सुजान विजयाजी तत् शिष्यणी दोप विजयाजी तत् शिष्यणी अंते वासिनी पान विजया कारापितं वाराणसी मनसा रामेन प्रतिष्ठा कारापितं शुभमस्तु ।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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