________________
(७८)
( 306 ) सं० १९०० मिः आषाढ़ सिः गुरी श्री महावीर जिन विवं प्रति. खरतर महारक गच्छे महारक श्री जिन हर्ष सूरिप दिनकर सभी जिन सौभाग्य सूरिभिः कारितं तेन ओसवंशे दूगड़ गोत्रे भोलानाथ पुत्र दोलतरामेन स्वश्रेय सोर्थम् ।
पाषाण के मूर्तियों और चरणों पर।
( 307 )
(चंन्द्रमान विवपर) सम्वत १९७१ श्री आगरा वास्तव्य ओसवाल ज्ञातीय लोढ़ा गोत्रेगाणी से स० ऋषभदास भार्या सुः रेष श्री तत्पुत्र संघराज सं० रूपचन्द चतुर्भुज सं० घनपालादि युते श्रीमदंचल गच्छे पूज्य श्री ५ धर्ममूर्ति सूरि तत् पहें पूज्य श्रीकल्याण सागर सूरीणा मुपदेशेन विद्यमान श्री विसाल जिन विंव प्रति--
( 308 ) संवत १९७१ वर्षे ओसवाल ज्ञातीय लोढा गोत्रे गाणी वंसे साह Qर पाल सं० सोनपाल प्रति० अंचल गच्छे श्री कल्याण सागर सूरीणामुपदेशेन वासु पूज्य बियं प्रतिष्ठापितं ॥
__( 300 ) ॥श्री मत्संवत १६७१वर्षे वैशाष सुदि ३ शनी आगरा वास्तव्योसवाल ज्ञातीय लोढा गोत्रे गावंसे संघपति ऋषम दास भा० रेष श्री पुत्र सं० क्रुरपाल सं० सोनपाल प्रवरी स्वपित ऋष दास पुन्यार्य श्रीमदंचल गच्छे पूज्य भी ५ कल्याण सागर सूरीणामुपदेशेन श्री पदम प्रभु जिन बिंध प्रतिष्ठापितं स० चागाकृतं।
( 310) श्री मत्संवत ११०१ वर्षे वैशाष सुदि ३ सनी श्री आगरा वास्तव्य उपकेस ज्ञातीय लोढा गोत्रे सा. प्रेमन मार्या शक्तादे पुत्र सातसी लघुचाता सा. मेतला