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________________ 191 191 No I. Sanghavi PĀŅĀ नम(मि)वि जिणवर निजियाणंग छत्तीस गुणगणपवर सुगुरु पणमवि सुभाविहिं । धम्मु जु जीवह दयसहिउ सयलसुक्खदायगु सहाविहि चउविह संघ वि सुरमहिउ मुत्ति-निविणि-हारु वयरसामि-सुचरिउ भणिसु भवियण-मंगलकारु End: झाअउ अणुदिणु चंदगच्छि देवभद्दसूरि दक्ख फुरइ जिणप्रभसूरि समण-गुण लक्ख । नाणि चरणि गुणि कित्ति समहू देउ वयरसामि-चरिउ आणंदु ॥ ५८ ॥ झाअउ अणुदिणु सोहग्गमहानिहिणो गुरुणो सिरिवयरसामिणो चरियं । तेरह सोलुत्तरए रइयं सुहकारणं जयउ ॥ ५९ ॥ जिम जिणेसरि थुणिइं म(ज)ह पु(बु)त्तु सुअकेवलि गणहरि पवरि नाणलिद्ध(लद्धि)संपुन्नगुणहरि जह समत्ति चरित्ति थिरि दाणि सी लि तवि पुन्नु मटाहरि तह भवियण तं वि(थि)रु हवउ वयरसामि-सुचरित्त ___ पढंत गुणंत सुणंतह संवेगु धरंत ॥ ६० ॥ (१८) उपदेशकन्दली. प. १३०-१३७ (१९) ज्ञानप्रकाशकुलक by जिनप्रभ. प. १३७-१४३ End: ज्ञानप्रकाशकुलकं रचितमिदं श्रीजिनप्रभाचार्यः । श्रीशजयसत्तीर्थसेविभिर्मोहनाशाय ॥ ११४ ।। (२०) विचारगाथा (?). ___ प. १४३-१५३+१ Beginning: जयइ जयह जिणधम्मो विवेयरम्मो पणासीयकुहम्मो। उवसमपुरपायारो पयडियनाणाइपायारो ॥ १ ॥ त जयइ जगि सिरिजिणवरविंद जसु पय पणमइ सयलमुरिंद । परिवजिय सावजारंभ नर[य]कूव निवडतह खंभ ॥ २॥ त दुल्लहु लहिउ सुमाणुसजम्मु कहवि कहवि सिरिजिणवरधम्मु । तत्थ वि बोहिवीउ पुण रम्मु जं निहणइ दुढ दृ वि कम्मु ॥ ३ ॥ End:
SR No.011005
Book TitleDescriptive Catalogue of Manuscripts in Jain Bhandars at Patan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchandra B Gandhi
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1937
Total Pages591
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size32 MB
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