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PATTAN CATALOGUE OF MANUSCRIPTS
(६) आहारविशुद्धि (प्रा० मध्ये त्रुटित ). प० १२८ - १५७
Beginning:
जीवा सुसिणो तं सिमि तं संजमेण सो देहे । सो पिंडेण सदोसो सो पडिकुट्ठो इमो नेय ||
आहाकम् मुद्देसिय-पूइयकम्मे य मीसजाए अ । ठवणा - पाहुडियाए पाओयर-कीय - पामि ॥ २ ॥ Contains Gujarati translations rendered from Prakrit. प. १३५ - सीका हेठइ दोर बांधिव । हिट्ठिलउ दोरउ ऊपलउ वेउ हाथि धरेवा । जउ पाणिउ प्रत्यासन्नु खरउ खरडं सीकं गियउ होइ त हेट्ठिलउ दोरउ तावउ । जिम्व पाणिडं पाणिय मिलइ किम्वइ तहिं ठाविं घातणं न लाभई त क्षीरवृक्षtos नेउ पात्रु मेल्हइ अथवा पात्रु दुर्लभु त खापरउं नवरं पाणीइ अचेतनि भीजविउ जिव सचित्तु पाणिउ तहिं आवट्टइ नहिं इं ति नववटवृक्षादिकहेठइ तहिं घाति उपरि ठवइ । अथवा जइ खापरउ न संपजई त चीखलमाज्झि खावउ खणिउ वटादिपत्र नालु करि उपरि ठवइ ऊपरि पत्रादि छाया करइ पावती म्लांखरेवा विकरइ ।
प. १३७ - अम्हि जाणाउं वइद तउ पइलउ वइद् पासि पूछइ अथवा भणइ अह अमुक औषधि एउ रोगु उपसांत । × ×
वलियउ विहरेवा गियउ भणइ जइ हउं तई देखउं तउ मुज्झु आपणी माता आपणउ पिता भाइ वेटउ वहिन वेटी सांभलइ इत्यादि । पश्चात् संबंधे संस्तवो यथा - जड हउं तुम्हि देखं तउ मुझ आपणा सासू सुसरादिक सांभलइ । माय पीय पुवसंथव सासू सुसराइयाण पच्छाउ । × × ×
(७) आराधना ( प्रा० त्रुटित ). २४०. पञ्चतीर्थि आलेखपट.
प. १५८-१६७
Colophon:
(१) संवत् १४९० वर्षे फा० व० ३ चंपकनेरवासिप्राग्वाटसा० खेताभा० लाडी सा० गुणेयकेन लेखकारिता ।
Colophon:—
(२) संवत् १४९० वर्षे का० व० ३ चंपकनेरवासि मं. तेजाभा० भावदेसुतको० वाघाकेन प्राग्वाटज्ञातीयेंन श्रीशांतिनाथप्रासादालेखः कारितः ।
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२४१. (१) न्यायावतारसूत्र.
(२) न्यायप्रवेशक सूत्र.
प. १-२;
प. २-६