________________ संघ सुरक्षा कारण रे, अनुशासन अनमोल / सवोरि शासण में राख्यो, मर्यादा रो मोल / / 8 / / टालो टालोकर तणों रे, पंडित भले प्रवीण / पतित पुप्प की गति पहिचाणो, शोभै सलिला मीण / / 6 / / जीवन भर दियो सघ नै रे, सक्रिय शिक्षण स्वाम / तारक तेरापन्थ वण्यो ओ, शक्ति स्रोत अभिराम / / 10 / / भाद्रव तेरस महाप्रभु रे, लह्यो समाधि मरण / 'तुलसी' नवमाचार्य चतुर्विध सघ सुगुरु की गरण // 11 // वि० सं० 2014 चरम महोत्सव, सुजानगढ़ (राज.) 112] [श्रद्धेय के प्रति