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________________ : प्रश्नों के उत्तर .:४२८ : की खाक छानता फिरता है। इस तरह मदिरा आदि का सेवन करने से उसका खर्च बढ़ जाता है। मदिरा का खर्च,उस पर खाये जाने वाले ' पौष्टिक पदार्थों का भी खर्च और फिर विषय-वासना की आग को · वुझाने के लिए वेश्यालय के विल का भुगतान। इत.तरह दिनप्रतिदिन : "उसकी जेवं खाली होती रहती है। घर में वीवी-बच्चे दाने-दाने के लिए बिलखते रहते हैं और इधर उसका जेब खर्च पूरा नहीं होता है । . - तब उसे जुआ खेलने की सूझती है। उसमें भी सफलता नहीं मिलने पर चोरी, ठगो एवं डाके डालने का प्रयत्न करने लगता है । इस . तरह शराबी एवं नशेबाज़ को दुनिया के सारे पाप, सारे दुर्गुण आ . घेरते हैं। और परिणाम स्वरूप वह धन से, शक्ति से; सौन्दर्यः से, 'बुद्धि से, ज्ञान से एवं धर्म से क्षीण हो जाता है और रात-दिन आर्त, • रौद्र ध्यान एवं विषय-वासना तथा अन्य पाप भावना में : संलग्न रहने । के कारण अन्त समय में मर कर नरक-यात्रा को चल पड़ता है । :: शास्त्रों में नरकं जाने के चार कारण वताए हैं उनमें एक कारण मांस मदिरा सेवन करने का भी है। क्योंकि शराबी की वृद्धि नष्ट " हो जाती है। वह रात-दिन दुर्व्यान में चिन्तित रहता है। उसके मन में सदा दुर्भावना का कुचक्र चलता रहता है। वह हमेशा पाप कार्य में . संलग्न रहता है। अत: नरक के अतिरिक्त वह जा ही कहां सकता है ? ... वहां अनन्त वेदना का संवेदनः करता है: । नरक में वेदना देने वाले . परमाधामी देव ज़बर्दस्ती से उबलता हुआ:-रस उसके मुंह में.. डालते हैं । उसके इन्कार करने पर या उससे बचते के लिए: मुंह को इधर-उधर करने पर वे उसे कस कर पकड़ लेते हैं और मुंह चौड़ा करके उसमें उडेल देते हैं और साथ में कहते हैं कि जब शराब पीते समय संकोच नहीं किया तो इसका आस्वादन करते समय क्यों डरते
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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