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________________ . प्रश्नों के उत्तर ४२६ होती है और इसका सेवन करके मानव अपनी बुद्धि, ज्ञान एवं मानवता को खो बैठता है । जौ, ताड़ का रस, अंगूर का रस, गुड़ आदि कई पदार्थों से शराब बनाई जाती है। परन्तु इसे तैयार करने के लिए इन सभी पदार्थों को- जिनके द्वारा शराब बनाई जाती है, पहले सड़ाया जाता है, विकृत किया जाता है। उन्हें सड़ाये बिना उनमें मादकता नहीं आती, इसलिए उक्त पदार्थों में मादकता लाने के लिए उन्हें.. .. सड़ाना जरूरी है । जब किसी पदार्थ को सड़ाया जाता है, विकृत बनाया जाता है या वह पदार्थ स्वयं विकृत हो जाता है तो उसमें त्रस, जीवों को उत्पत्ति हो जाती है । वैज्ञानिक भी इस बात को मानते हैं कि खाद्य पदार्थ जब बिगड़ जाते हैं तो उनमें कीटाणु-जन्तु पैदा हो । जाते हैं । और जव उस विकृत पदार्थ को पका कर मदिरा या शराब तैयार की जाती है, तो उसमें उत्पन्न हुए अनेकों त्रस प्राणियों के प्राणों का नाश हो जाता है। इस तरह शराव के बनने में अनेक त्रस .. प्राणियों की हिंसा होती है। अतः अहिंसा.दया,करुगा एवं मानवता को पहली सीढ़ी पर क़दम रखने वाले मानव को मदिरा सेवन से सर्वथा बचना चाहिए। . . . . . . . . . शराब शब्द उर्दू भाषा का है,और शर+आव शब्द के संयोग से.. - बना है। शरारत,शैतानी या धूर्तता को शर कहते हैं और प्राव पानी को . . कहते हैं। इस तरह शराव का अर्थ हुआ- वह पानी या वह पेय पदार्थ जो इन्सान को शैतान बना दे । वस्तुनः शराव ऐसा ही पदार्थ है । इस ... का सेवन करने से मनुष्य के जीवन पर मादकता छा जाती है। उसके । ज्ञान-तन्तु नशे से आवृत हो जाते हैं। उनमें सोचने-समझने की शक्ति नहीं रह जाती है। अपने हित-अहित का विवेक नहीं रह जाता है। वह मदिरा के नशे में बेभान हो जाता है, और तो क्या उस समय उसे . . क
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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