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________________ अठाहरवां अध्याय है, वहां जम्बूवृक्ष के समान ही शाल्मली वृक्ष है। . . . . . लवणसमुद्र- ... जम्बूद्वीप के बाहिर चूड़ी के आकार का जम्बूद्वीप को घेरे हुए २ लाख योजन का विस्तार वाला लवण समुद्र है। यह किनारे पर तो वाल के अग्रभाग जितना गहरा होता है, किन्तु आगे-आगे इस की गहराई वढ़ती चली जाती है । ९५००० योजन आगे जाने पर इसमें १००० योजन की चौड़ाई में १००० योजन की गहराई अाती है। फिर ग़हराई कम होने लग जाती है, और क्रम से घटती-घटती घातकीखण्ड द्वीप के समीप यह वालाग्र जितना गहरा रह जाता है। लवणसमुद्र का पानी नमक जैसा खारा होता है। जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र से उत्तर में स्थित चुल्ल हिमवान पर्वत के पूर्व और पश्चिम में दोनों और हाथी के दाँत के समान वक्र दो-दो दाढ़े लवणसमुद्र में गई हुई हैं। एक-एक दाट दक्षिण की ओर मुड़ी हुई है और एक-एक उत्तर की ओर। इन चारों दाढों पर सात- . सात अन्तर्वीप हैं, जो एक दूसरे से सैंकड़ों योजन के अन्तर पर हैं। चुल्लहिमवान पर्वत की तरह ऐरावत क्षेत्र की सीमा करने वाला शिखरी पर्वत है, इस की भी चार दाढ़े लवणसमुद्र में अवस्थित हैं, उन पर भी सात-सात अन्तर्वीप हैं । इस प्रकार दोनों तरफ के मिल कर सव अन्तर्वीप ५६ हो जाते हैं। इन अन्तर्वीपों में असंख्यातवें भाग की आयु वाले युगलिया मनुष्य रहते हैं। वहां के मनुष्य मर कर एक मात्र देवगति की आयु को प्राप्त होते हैं। - ... धातकीखण्ड- . . . . . लवणसमुद्र के चारों ओर गोलाकार चार लाख योजन के .. विस्तार वाला धातकीखण्ड द्वीप है। यह द्वीप लवणसमुद्र को घेरे : हुए है । इसके मध्य में पूर्व और पश्चिम द्वार से निकले इक्षुकार .
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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